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आध्यात्म

हम अपना सर्वस्व भूलकर शरीर के नातेदारों के चक्कर में पड़ गए

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‘मेरे’ को न जानने का दुष्‍परिणाम, जानने का जो तुम्‍हारे पास साधन है न बुद्धि, उससे नहीं जान सकते

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वेद कह रहा है। साथ साथ जाता है। नरक गये, हाँ हाँ, हम साथ रहेंगे, स्‍वर्ग गये हम साथ रहेंगे, कुत्‍ते की योनि मिली मरने के बाद साथ रहेंगे, कुत्‍ते के अन्‍तःकरण में तुम भी रहोगे, हम भी रहेंगे। ऐसा है। लेकिन हम भूल गये। हम भूल गये अपने सर्वस्‍व को और शरीर के नातेदारों के चक्‍कर में पड़ गये। उसका परिणाम माया का आधिपत्‍य, उसका रियक्‍शन दुःख, अशान्ति, अतृप्ति, अपूर्णता, अज्ञान, अनन्‍त काल बीत गये। हम अनादि हैं न इसलिये।

तो शास्‍त्रों वेदों ने कहा कि हमारी बात मानों। ये तुम्‍हारा नहीं है, वो है। ये माया का जगत् तुम्‍हारे, एक तुम्‍हारा और है। तुम्‍हारा शरीर उसके लिये है, ये क्षणिक है। एक दिन मिला, एक दिन छूटेगा। लेकिन इसके लिये संसार आवश्‍यक है। अरे सबसे पहले तो तुम्‍हारा शरीर ही कैसे बनेगा अगर संसार न होगा। तुम्‍हारे बाप न होते, तुम्‍हारी माँ न होती तो उनका वीर्य न होता, रज न होता फिर वो मिलकर शरीर कैसे बनता? इसलिये संसार तो माँ के पेट से ही जरूरी हो गया। फिर शरीर का पालन पेट में भी हो रहा है, वो कैसे होता? माँ जो खायेगी उससे शरीर बनेगा, बड़ा होगा। वाह! क्‍या यंत्र है? खाये खाना माँ और उसका हिस्‍सा मिले हमको भी। हाँ। देखो, अगर किसी से कोई कहे शीर्षासन करो। एक आसन होता है योग में। सिर नीचे पैर ऊपर। तो पहले तो पाँच मिनिट भी बड़ा मुश्किल है। अभ्‍यास करते करते एक एक घंटा लोग कर लेते हैं। लेकिन कोई कहे कि चौबीस घंटे करो। अरे ये तो इम्‍पॉसीबिल। और आपने नौ महीने शीर्षासन किया माँ के पेट में, नौ महीने। पैर फैलाने की जगह नहीं थी गर्भाशय में। आपको पता नहीं है, भूल गये होंगे। किसी डॉक्‍टर से पूछ लेना। ये सब कष्‍ट तुम भोगे हो। शंकराचार्य ने कहा कि-

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं पुनरपि जननी जठरे शयनम् ।

इह संसारे खलु दुस्‍तारे कृपया पारे पाहि मुरारे।।

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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