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उत्तर प्रदेश

लखीमपुर कांड:सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आशीष मिश्रा की ज़मानत, 1 हफ्ते में सरेंडर करने का दिया आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ़ मोनू की जमानत रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से दी गई जमानत को रद्द करते हुए गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है। लखीमपुर खीरी के तिकोनिया मोड़ पर 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा मामले के मुख्य आरोपी मंत्रीपुत्र आशीष को अब सरेंडर करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे एवं लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पीड़ित पक्ष की सुनवाई ठीक से नहीं हुई है और जमानत देने में जल्दबाजी की। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस मामले पर फिर से सुनवाई करने को कहा है। कोर्ट ने आशीष मिश्रा को सरेंडर करने को कहा है।

चीफ जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द किए जाने का अनुरोध करने की किसानों की याचिका पर चार अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले, न्यायालय ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका मंजूर करने के इलाहबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाए थे और कहा था कि जब मामले की सुनवाई अभी शुरू होनी बाकी है, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चोटों की प्रकृति जैसी अनावश्यक बातों पर गौर नहीं किया जाना चाहिए।

विशेष पीठ ने इस तथ्य का कड़ा संज्ञान लिया था कि राज्य सरकार ने न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) के सुझाव के अनुसार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दायर नहीं की। किसानों की ओर से पेश हए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने व्यापक आरोप पत्र पर विचार नहीं किया, बल्कि प्राथमिकी पर भरोसा किया।

आपको बता दें कि तिकुनिया इलाके में तीन अक्टूबर को किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसान और एक पत्रकार तथा प्रतिक्रिया स्वरूप दूसरे पक्ष के हमले में भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की मौत हो गई थी। इस मामले में मुख्या आरोपी है आशीष मिश्रा, जिसकी गाड़ी के नीचे आ कर चार किसानों की मौत हुई थी।

उत्तर प्रदेश

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक्शन मोड में, स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों पर गिरी गाज

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में गंभीर अनियमितताओं के चलते कड़ी कार्रवाई की है. लगातार मिल रही शिकायतों के बाद श्रावस्ती के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अजय प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है. डिप्टी सीएम ने इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशालय से संबंधित अधिकारियों को जांच करने के निर्देश भी दिए थे.

शिकायतों के कारण हुई कार्रवाई

शिकायतों में यह आरोप लगाए गए थे कि डॉ. अजय प्रताप सिंह ने अवैध निजी अस्पतालों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया, टेंडरों में अनियमितताएं कीं, बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण नहीं किया और उच्च आदेशों की अवहेलना की. इन शिकायतों के आधार पर डॉ. सिंह को निलंबित कर दिया गया.

फतेहपुर और सुल्तानपुर में भी कार्रवाई

इसके साथ ही, फतेहपुर में तैनात चिकित्सक डॉ. पुण्ड्रीक कुमार गुप्ता को भी निलंबित कर सिद्धार्थनगर के सीएमओ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. उनका एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी.

 

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