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LG आसिम मुनीर होंगे पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ, रह चुके हैं ISI प्रमुख

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LG Asim Munir

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने ले. जनरल आसिम मुनीर (LG Asim Munir) को मुल्क के नए आर्मी चीफ के रूप में नियुक्त किया है। मुनीर जनरल कमर जावेद वाजवा की जगह लेंगे। इसके अलावा लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ नियुक्त किया गया है।

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पाकिस्तान की सूचना और प्रसारण मंत्री मरियम औरंगजेब ने इसकी जानकारी दी है। नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया सोमवार को उस समय शुरू हुई जब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संभावित उम्मीदवारों के लिए रक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा था।

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर

लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को पाकिस्तान देना का एक उत्कृष्ट अधिकारी माना जाता है। जनरल मुनीर ने मंगला में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल कार्यक्रम के माध्यम से सैन्य सेवा में प्रवेश किया और उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में नियुक्त किया गया।

वह जनरल बाजवा के तब से करीबी सहयोगी रहे हैं, जब उन्होंने कमांडर एक्स कोर के तहत एक ब्रिगेडियर के रूप में फोर्स कमांड उत्तरी क्षेत्रों में सैनिकों की कमान संभाली थी। लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को 2017 की शुरुआत में सैन्य खुफिया महानिदेशक नियुक्त किया गया था, और 2018 अक्तूबर में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) प्रमुख बनाया गया था।

हालांकि, ISI प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल रहा, क्योंकि उन्हें तत्कालीन पीएम इमरान खान के आग्रह पर आठ महीने के भीतर बदल दिया गया था। क्वार्टर मास्टर जनरल के रूप में सामान्य मुख्यालय में स्थानांतरित होने से पहले, उन्हें गुजरांवाला कोर कमांडर के रूप में तैनात किया गया था, जहां उन्होंने दो साल तक काम किया था।

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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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