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ऑफ़बीट

जब अपनी मौत के बाद बेटों ने मां से की बात, बताया कैसी है वह दुनिया

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अक्सर आपके मन में ख्याल आता होगा कि मरने के बाद क्या होता है? वह दुनिया कैसी होगी? क्या यहां से जाने के बाद वे लोग हमेें देख सकते हैं? क्या हम उनसे संपर्क कर सकते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि दो बेटों ने एक दुर्घटना में मरने के एक महीने बाद अपनी मां से संपर्क किया तो आप क्या कहेंगे?

यह किस्सा है मुंबई का, मुंबई के बाइकुला इलाके में खुर्शीद भावनगरी और उनके पति रूमी भावनगरी रहा करते थे। इनके दो बेटे थे विस्पी और रत्तू। दोनों की लगभग 29 बरस की उम्र में फरवरी 1980 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। दोनों बेटों का अचानक इस तरह चले जाना मां खुर्शीद बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं। वह गहरे दुख में डूब गईं उनकी बस एक ही इच्छा रह गई कि वह किसी तरह बेटों से संपर्क कर पाएं।

एक महीने बाद बेटों ने एक महिला को माध्यम बनाकर खुद उनसे संपर्क किया। इसके बाद वे ध्यान में लगातार मां से बातें करते रहे। एक दिन उन्होंने कहा कि हम जिस दुनिया में हैं उसके बारे में आपको बताना चाहते हैं आप उस पर एक किताब लिखिए ताकि औरों को भी इससे मदद मिले। आॅटोमैटिक हैंडराइटिंग के जरिए खुर्शीद भावनगरी ने किताब लिखी The Laws Of Spirit World । हिंदी में यह ‘जीवात्मा जगत के नियम‘ नाम से छपी।

अपनी मां से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हैलो मम्मी, पापा हम विस्पी और रत्तू हैं। हम अपनी मौत के कुछ समय बाद ही आत्माओं के जगत में पहुंच गए थे। यह ईश्वर की इच्छा थी, हमारे लिए क्या सही है यह उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। हम जब चाहे आपको देख सकते हैं। लेकिन जब तक आप पूरी तरह से खुश और रिलेक्स नहीं होंगी आप हमसे बात नहीं कर सकतीं क्योंकि इसके लिए मन को एकाग्र करना पड़ता है।‘ इसके बाद उन्होंने बताया कि आत्माओं के जगत में धर्म की दीवार नहीं है, एक ही ईश्वर है। हम लोग धरती पर अच्छा मकसद लेकर आते हैं, लेकिन यहां आकर भूल जाते हैं। हमें सही राह पर चलने में मदद करने के लिए हमारे कुछ गाइड होते हैं। मरने के बाद हम लोगों को अहसास होता है कि हमने अपने जीवन में क्या किया। उसी के हिसाब से हम अपना अगला जीवन चुनते हैं। जीवन में आने वाली कठिनाइयां हम खुद चुनते हैं ताकि उनके बीच हम अपने व्यक्तित्व और चरित्र का विकास कर सकें।

इस पूरी किताब में इस आत्मा जगत के नियम विस्तार से लिखे हैं जो न केवल पढ़ने में दिलचस्प हैं बल्कि उनको पढ़ने के बाद जीवन को समझने में मदद मिलती है। यह कितना सच है कितना झूठ खुद पढि़ए और पता लगाइए। यह किताब किसी भी अच्छी दुकान पर या रेलवे स्टेशन पर बुक स्टॉल पर मिल जाएगी और यह खास महंगी भी नहीं है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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