राजनीति
महाराष्ट्र के भाजपा संसाद धनंजय महाडिक ने दिया महिलाओं पर गलत बयान, बुरी तरह फंसे नेता
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र भाजपा सांसद धनंजय महाडिक महिलाओं पर दिए बयान के बाद घिर गए हैं। उन्होंने शनिवार को एक सभा में कहा कि ‘लाड़की बहिन योजना’ योजना से 1500 रुपये लेने वाली महिलाएं कांग्रेस की रैली में जाएं तो उनकी फोटो खींचें। हम उनके पैसे बंद करेंगे। अब रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने बयान के लिए माफी मांगी है। इस बीच निर्वाचन आयोग ने भी महाडिक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
भारत सरकार देश के लोगों के लिए कई योजनाएं चलाती है। इनमें से कई योजनाएं महिलाओं के लिए भी हैं? भारत के अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग सरकारों के पास भी लोगों के लिए कई योजनाएं हैं। इस साल एकनाथ शिंदे सरकार ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री लाड़की बहिन योजना शुरू की। इस योजना के तहत सरकार महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह देती है।
लाड़की बहिन योजना का उद्देश्य
महाराष्ट्र की लाड़की बहिन योजना 2024 में शुरू हुई थी। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहायता देना है और उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारना है। इस योजना के तहत, सरकार महिलाओं को एक निश्चित रकम प्रदान करती है। योजना का मुख्य लक्ष्य महिलाओं की स्वतंत्रता और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना है।
नेशनल
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को कैबिनेट की मंजूरी, जल्द हो सकता है संसद में पेश
नई दिल्ली। ‘एक देश-एक चुनाव’ की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इस विधेयक को जल्द संसद के पटल पर भी रखा जा सकता है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमिटी ने एक देश एक चुनाव से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसके बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विस्तार से जानकारी दी थी।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमिटी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले कदम में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव को एक साथ कराना चाहिए। कमेटी ने सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव हो जाने चाहिए।
एक देश एक चुनाव का मकसद
एक देश एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसके तहत भारत में लोकसभा और राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की बात की गई है। यह बीजेपी के मेनिफेस्टो के कुछ जरूरी लक्ष्यों में भी शामिल है। चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखने का यह कारण है कि इससे चुनावों में होने वाले खर्च में कमी हो सकती है।
दरअसल, देश में 1951 से लेकर 1967 के बीच एक साथ ही चुनाव होते थे और लोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए एक समय पर ही वोटिंग करते थे। बाद में, देश के कुछ पुराने प्रदेशों का वापस गठन होने के साथ-साथ बहुत से नए राज्यों की स्थापना भी हुई। इसके चलते 1968-69 में इस सिस्टम को रोक दिया गया था. बीते कुछ सालों से इसे वापस शुरू करने पर विचार हो रहा है।
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