उत्तर प्रदेश
दुनिया के कई देश, देश के हर राज्य और हर जाति, संप्रदाय के लोगों ने एक साथ लगाई संगम में डुबकी

महाकुम्भनगर : बसंत पंचमी पर महाकुम्भ में भारत के हर राज्य और हर जाति लोगों ने एक साथ संगम में अमृत स्नान किया। इसके साथ दुनिया भर के कई देशों के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए। अमृत स्नान पर महाकुम्भ नगर में एकता का महाकुम्भ नजर आया। यहां भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत विदेशी नागरिकों ने परिवार के साथ पहुंचकर गंगा स्नान किया। जय श्री राम, हर हर गंगे का नारा लगाकर लोग उत्साह से लबरेज नजर आए।
आस्था का संगम
महाकुम्भ के इस ऐतिहासिक मौके पर संगम का तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया। आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक नजर नहीं आ रही थी। हर जगह सिर्फ मुंड ही मुंड नजर आ रहे थे। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति के लोग और अन्य देशों से आए विदेशी नागरिकों ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। अमेरिकी, इजरायली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के नागरिक गंगा स्नान करते हुए भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत हुए। वे भी बम बम भोले के नारे लगाते हुए उत्साह से झूमते नजर आए।
महाकुम्भ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी भारत की ब्रांडिग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दिव्य और भव्य महाकुम्भ का अलौकिक आयोजन किया गया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति महाकुम्भ के इस बार के अद्भुत आयोजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी ज्यादा बढ़ा दी है। महाकुम्भ में दुनिया भर के कई देशों के नागरिकों ने भाग लिया और भारत की संस्कृति को अनुभव किया। विदेशी श्रद्धालु भारत की सनातन संस्कृति से गहरे प्रभावित हुए और परिवार के साथ गंगा में स्नान किया। संगम के तट पर जय श्री राम और हर हर गंगे के उद्घोष से माहौल बना और श्रद्धालु श्रद्धा से गंगा में डुबकी लगाते रहे।
हर वर्ग, संप्रदाय के लिए समानता का भाव
प्रयागराज का महाकुम्भ विश्व का सबसे बड़ा मानवीय और आध्यात्मिक सम्मेलन है। यूनेस्को ने महाकुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है। सीएम योगी का मानना है कि महाकुम्भ भारत की सांस्कृतिक विविधता में समायी हुई एकता और समता के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रतीक है। यहां सब एक समान हैं। करोड़ों लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालु, समस्त साधु, संन्यासियों का आशीर्वाद ले रहे हैं, मंदिरों में दर्शन कर अन्नक्षेत्र में एक ही पंगत में बैठ कर भण्डारों में खाना खा रहे हैं। महाकुम्भ भारत की सांस्कृतिक विविधता में समायी हुई एकता और समता के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रदर्शन स्थल है, जिसे दुनिया भर से आये पर्यटक देखकर आश्चर्यचकित हैं। कैसे अलग-अलग भाषायी, रहन-सहन, रीति-रिवाज को मानने वाले एकता के सूत्र में बंधे संगम में स्नान करने चले आते हैं। साधु-संन्यासियों के अखाड़े हों या तीर्थराज के मंदिर और घाट, बिना रोक टोक श्रद्धालु दर्शन,पूजन करने जा रहे हैं। संगम क्षेत्र में चल रहे अनेक अन्न भण्डार सभी भक्तों, श्रद्धालुओं के लिए दिनरात खुले हैं जहां सभी लोग एक साथ पंगत में बैठ कर भोजन ग्रहण कर रहे हैं। महाकुम्भ मेले में भारत कि विविधता इस तरह समरस हो जाती है कि उनमें किसी तरह का भेद कर पाना संभव नहीं है।
अनवरत जारी है सनातन संस्कृति की परंपरा
महाकुम्भ में सनातन परंपरा को मनाने वाले शैव, शाक्त, वैष्णव, उदासीन, नाथ, कबीरपंथी, रैदासी से लेकर भारशिव, अघोरी, कपालिक सभी पंथ और संप्रदायों के साधु,संत एक साथ मिलकर अपने-अपने रीति-रिवाजों से पूजन-अर्चन और गंगा स्नान कर रहे हैं। संगम तट पर लाखों की संख्या में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आए हैं। अलग-अलग जाति, वर्ग, भाषा को बोलने वाले साथ मिलकर महाकुम्भ की परंपराओं का पालन कर रहे हैं। महाकुम्भ में अमीर, गरीब, व्यापारी, अधिकारी सभी तरह के भेदभाव भुलाकर एक साथ एक भाव में संगम में डुबकी लगा रहे हैं। महाकुम्भ और मां गंगा, नर, नारी, किन्नर, शहरी, ग्रामीण, गुजराती, राजस्थानी, कश्मीरी, मलयाली किसी में भेद नहीं करती। अनादि काल से सनातन संस्कृति की समता,एकता कि ये परंपरा प्रयागराज में संगम तट पर महाकुम्भ में अनवरत चलती आ रही है।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी ने शायरी से किया कटाक्ष, ‘बड़ा हसीन है इनकी जुबान का जादू, लगाकर के आग बहारों की बात करते हैं’

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र के दौरान सदन में समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों को खूब धोया। एक शेर के माध्यम से मुख्यमंत्री ने आईना दिखाते हुए कहा कि
बड़ा हसीन है इनकी जुबान का जादू,
लगाकर के आग बहारों की बात करते हैं।
जिन्होंने रात में चुन-चुन के बस्तियों को लूटा,
वही नसीबों के मारों की बात करते हैं।
मुख्यमंत्री ने सदन में कहाकि जब हम चर्चा में भाग ले रहे हैं, तब 56.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। उन्होंने विपक्षी दलों को घेरते हुए कहा कि जब सनातन धर्म, मां गंगा, भारत की आस्था, महाकुम्भ के खिलाफ अनर्गल प्रलाप और झूठा वीडियो दिखाते हैं तो यह 56 करोड़ लोगों के साथ ही भारत की सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ है।
यह पार्टी विशेष और सरकार का नहीं, बल्कि समाज का आयोजन
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह किसी पार्टी विशेष और सरकार का नहीं, बल्कि समाज का आयोजन है। सरकार पीछे है। सरकार सहयोग और उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के लिए सेवक के रूप में है। सेवक के रूप में उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना हमारी जिम्मेदारी है। हम तत्परता के साथ ऐसा करेंगे, क्योंकि हमें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास है। हमारे मन में भारत की सनातन परंपराओं के प्रति श्रद्धा का भाव है और उन श्रद्धाओं को सम्मान देना हमारा दायित्व है। सौभाग्य है कि सदी के महाकुम्भ के साथ सरकार को जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ। तमाम दुष्प्रचार को दरकिनार करते हुए देश-दुनिया ने इस आयोजन के साथ सहभागी बनकर इसे सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
हमारी संवेदना परिवारजनों के साथ
प्रतिपक्ष के सदस्य डॉ. आरके पटेल, संग्राम सिंह यादव, आराधना मिश्रा ‘मोना’ का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे जिम्मेदारियों का अहसास है। 29 जनवरी के भगदड़ के शिकार श्रद्धालुओं और प्रयागराज कुम्भ के दौरान सोनभद्र, अलीगढ़ या अन्य जगहों पर महास्नान में आने और वापस जाने के दौरान जो श्रद्धालु सड़क दुर्घटना के शिकार हुए हैं। हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। हमारी संवेदना परिवारजनों के प्रति है। सरकार उनके साथ खड़ी है और हरसंभव मदद करेगी। प्रश्न यह है कि इस पर राजनीति करना कितना उचित है।
कहीं का वीडियो महाकुम्भ से जोड़कर अफवाह फैलाने वाले लोग कौन?
सीएम ने विधानसभा सदस्य मनोज पांडेय को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने अफवाहों का उल्लेख किया। सीएम ने कहा कि काहिरा, नेपाल, झारखंड व देश की अन्य दुर्घटनाओं को महाकुम्भ व झूंसी के साथ जोड़कर दुष्प्रचार करके अफवाह फैलाने का कार्य हो रहा है, ऐसा करने वाले आखिर कौन लोग थे।
समाजवादी जिस थाली में खाते, उसमें ही छेद करते हैं
सीएम ने शायरी सुनाने के बाद नेता प्रतिपक्ष पर तंज कसा- बोला कि यह ऊर्दू नहीं, हिंदी है। जब प्रदेश की स्थानीय बोलियों को सदन में महत्व मिला तो उन्होंने विरोध किया। हर अच्छे कार्य का विरोध करना समाजवादी संस्कार है। उन्होंने कहा कि हिंदी इस सदन की भाषा है। हिंदी को तो हटाया नहीं, बल्कि सदस्यों को छूट दी गई है कि वे इन बोलियों में बोल सकते हैं। यह थोपा नहीं गया, बल्कि सुविधा है। भोजपुरी, ब्रज, अवधी व बुंदेलखंडी की लिपि भी देवनागरी है। सभी कार्य संविधान द्वारा घोषित व्यवस्था के दायरे में हुआ है। इसका आपको स्वागत करना चाहिए और इस कार्य के साथ सकारात्मक भाव के साथ जुड़ना चाहिए। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि आपके विरोध का मैं उपहास नहीं उड़ाता, क्योंकि आपकी आदत मुझे मालूम है। सीएम ने तंज कसा कि आज के समाजवादियों के बारे में मान्यता है कि जिस थाली में खाते हैं, उसमें ही छेद करते हैं।
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