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ऑफ़बीट

MARKET में उपलब्ध है ये SMART CONDOM, जानें खूबियां और इस्तेमाल के तरीके

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स्‍मार्ट टीवी और स्‍मार्ट फोन के बाद अब मार्केट में स्‍मार्ट चीजों का बोलबाला हो गया है। इसी कड़ी में अब मार्केट में स्मार्ट-कंडोम का नाम भी आ चुका है। यह कंडोम सिर्फ नाम का ही स्‍मार्ट नहीं है बल्कि अपनी उपयोगिता के मामले में भी बेहद स्‍मार्ट है। आइए हम आपको विस्‍तार से इसके बारे में बताते हैं–––

ब्रिटेन की एक कंपनी ने स्मार्ट-कंडोम तैयार किया है। यह कंडोम बाकी कंडोम से काफी अलग है। i.Con नाम के इस कंडोम का आकार नहीं है।दिखने में यह एक रिंग की तरह है। इस रिंग में सेंसर और नेनो चिप लगी है जो कि इसको काफी एडवांस कंडोम का रुबता दिलाती है।

इस स्मार्ट कंडोम में अलग से लगा सेंसर और चिप रोमांस और सेक्‍स से जुड़े सभी डेटा स्‍टोर कर लेता है। इसे इस्तेमाल करने वाला व्‍यक्त्‍िा इसके डेटा को कम्पनी की एप पर प्राप्त कर सकता है।

इस कंडोम और इसकी डिवाइस को चार्ज किया जा सकता है। एक बार चार्ज करने पर ये 6-8 घंटे तक इसे इस्‍तेमाल किया जा सकता है। स्‍मार्ट कंडोम अभी फिलहाल कम्पनी की वेबसाइट पर ही मिल रहा है।

इसकी कीमत की बात करे तो ये अभी 59.99 पाउंड का यानी 5200 रुपए के करीब है। इस स्मार्ट कंडोम का फायदा ये भी है की एक यूजर दूसरे आई.कॉन यूज़र्स से डेटा शेयर और कंपेयर कर सकता है।

अन्तर्राष्ट्रीय

नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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