ऑफ़बीट
MARKET में छाया ये जबरदस्त गैजेट, अब किसी भी भाषा में आप कर सकेंगे बात
क्या आप विदेश जाने से डरते हैं या फिर अपने से अलग भाषा में बात करने वालों से कतराते है तो आज हम आपके लिए एक ऐसी खबर लेकर आएं है जिससे आप चुटकियों में अपने से दूसरी भाषा में बात करने वाले लोगों से बेझिझक बात कर पाएंगे
जी हां दरअसल, रील लाइफ में दिखने वाला ट्रांसलेटर डिवाइस रियल लाइफ में हकीकत बन चुका है। नीदरलैंड की एक कंपनी ने एक ट्रांसलेटर गैजेट बनाया है जिससे लोग एक-दूसरे की आम भाषा नहीं पता होने पर भी एक-दूसरे के साथ बातचीत कर सकते हैं।
ट्रैविस नाम की ये गैजेट दिखने में एक छोटे से डिवाइस की तरह है जोंकि रियल टाइम यानी वास्तविक समय में बातचीत को ट्रांसलेट यानी अनुवाद कर सकता है। इस डिवाइस को लास वेगास में चल रही (CES) कंज्यूमर इलैक्ट्रॉनिक्स शो 2018 इवेंट में पेश किया गया है।
ट्रांसलेटर डिवाइस ट्रैविस में क्वाड-कोर प्रोसेसर है और इसमें 3G के साथ-साथ वाईफाई कनेक्टिविटी की सुविधा है। कंपनी का दावा है कि इसकी बैटरी 12 घंटे की बैकअप देती है। इसके साथ ही उन लोगों के लिए एक ईयरफोन और ब्लूटूथ की सुविधा भी मिलती है, जो बातचीत में थोड़ा गोपनीयता चाहते हैं।
कंपनी के अनुसार, वर्तमान में यह डिवाइस 80 से ज्यादा भाषाओं को ट्रांसलेट कर सकता है। कंपनी का कहना है यह डिवाइस यूजर्स को बेहतर परिणाम देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का इस्तेमाल करता है।
ट्रैविस ट्रांसलेटर की कीमत 199 डॉलर (लगभग 12,000 रूपए) है। कंपनी ने कहा है कि 80,000 से अधिक लोगों ने इस डिवाइस के लिए पहले ही ऑर्डर दे दिया है।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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