बिजनेस
मुकेश अंबानी बने नाना, बेटी Isha Ambani ने जुड़वां बच्चों को दिया जन्म
नई दिल्ली। भारत के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी के परिवार में बड़ी खुशखबरी आई है। मुकेश अंबानी नाना बन गए हैं। उनकी बेटी ईशा अंबानी (Isha Ambani) ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है। ईशा ने शनिवार को एक लड़के और एक लड़की को जन्म दिया है।
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बेबी गर्ल का नाम आदिया (Aadiya), जबकि बेबी बाय का नाम कृष्णा (Krishna) रखा गया है। गौरतलब है कि बेटी ईशा अंबानी की शादी पीरामल समूह के आनंद पीरामल से हुई है। शादी के बाद दोनों अब जुड़वां बच्चों के माता-पिता बन गए हैं।
दोनों परिवारों ने किया ऐलान
परिवार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक ईशा ने 19 नवंबर 2022 को जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है। बयान में कहा गया है, ‘हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे बच्चों ईशा और आनंद को 19 नवंबर 2022 को भगवान ने जुड़वां बच्चों का आशीर्वाद दिया है। ईशा और दोनों बेबी आदिया और कृष्णा स्वस्थ हैं। हम आदिया, कृष्णा, ईशा और आनंद के लिए उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव में आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते हैं।’
2018 में हुई थी दोनों की शादी
साल 2018 में ईशा अंबानी की शादी पिरामल ग्रुप के आनंद पिरामल से हुई थी। आनंद पिरामल की मां स्वाति पिरामल पेशे से साइंटिस्ट और इंडस्ट्रियलिस्ट हैं। वह मुंबई के प्रसिद्ध गोपीकृष्णा पिरामल हॉस्पिटल की संस्थापक भी हैं।
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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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