अन्तर्राष्ट्रीय
संभाल कर रखिए पानी, नहीं तो बूंद-बूंद के लिए तरसेंगे भारतीय : NASA
नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की रिपोर्ट में भारत को बड़ी चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि भारत में पानी का संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में इसपर ध्यान देना ज़रूरी है।
नासा की रिपोर्ट मे यह बताया गया है कि भारत के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में लगातार फ्रेश वॉटर कम हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में गेहूं और धान जैसी फसलों की सिंचाई के लिए काफी मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया जाता है। जो पानी के घटने की एक मुख्य वजह है। भारत के अलावा पश्चिम एशिया के देश, कैलिफोर्निया और ऑस्ट्रेलिया भी उन जगहों में शामिल है, जहां पानी का संकट पैदा हो सकता है।
नासा बीते कई वर्षों से अंतरिक्ष में भेजी गई सैटेलाइट्स के ज़रिए दुनियाभर में जल संकट से जूझ रही जगहों की तस्वीरें ली हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। तस्वीरें देखने पर पता चला कि भारत के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में लगातार पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है।
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के मैट रॉडेल ने कहा कि यह पहली बार है, जब हमने कई सैटेलाइट से ये जानने के लिए तस्वीरें ली कि दुनिया में पानी कैसे कम हो रहा है। नासा की ये रिपोर्ट हमें आगाह करती है कि अगर जल संसाधनों का बड़ी मात्रा में यूं ही दोहन होता रहा तो, वो दिन दूर नहीं है जब आबादी बूंद-बूंद पानी को तरसेगी।
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नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट
जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।
शुरू हुई कानूनी लड़ाई
यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
अदालत ने सुनाया फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।
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