हमारे यहाँ बड़े बड़े मर्डर करने वाले उसी शहर में घूमते रहते हैं। कभी इस मकान में, कभी उस मकान में, पुलिस हार जाती है, नहीं...
अकेले मन नहीं लगा। अरे रे रे ये कहाँ से आ गया मन तुम्हारे पास जी?- अप्राणो ह्यमनाः शुभ्रो ह्यक्षरात् परतः परः। (मुण्डको. 2-1-2) अरे तुम...
अहैतुकी भक्ति भगवान् श्रीकृष्ण की हो और किसी की नहीं। संसार की भक्ति तो करते करते अनन्त जन्म बीत गये। ये हमारे पिताजी हैं। मर गये,...
तदर्थ आप लोगों को कर्म, ज्ञान, भक्ति तीन मार्ग बताये गये और ये भी बताया गया कि कर्म से तो स्वर्ग मिलेगा, यदि छः नियमों का...
तो वहाँ ये माया का कोई सामान प्रवेश नहीं कर सकता। तो भगवान् का जितना एरिया है, वो आनन्द आनन्द का है। और माया का जितना...
तदर्थ आप लोगों को बताया गया कि तीन तत्व अनाद्यनन्त शाश्वत हैं- ब्रह्म, जीव, माया। इनमें जीव और माया, ये दोनों भगवान् की शक्ति हैं। उसमें...
एक क्षण को कोई अकर्मा नहीं रह सकता। इसीलिये उसी आनन्द प्राप्ति के लिये प्रतिक्षण प्रयत्न करना पड़ेगा और हम लोग करते हैं। लेकिन अनन्त जन्मों...
नहीं नहीं, ये संसार का जो आनन्द होता है ये जड़ होता है। भगवान् का आनन्द तो आनन्द ही भगवान् है। अब बोलो, भगवान् जड़ है?...
जैसे कोई घोर कामी घोर कामिनी स्त्री के आलिंगन के बाद दोनों बेहोश हो जायें, इतना सुख मिले। ऐसा होता वोता तो नहीं होगा। लेकिन अगर...
तो ये तीन चीजें भगवान् की कृपा से मिलती हैं। अगर महापुरुष मिल भी जाय और मुमुक्षुत्व नहीं है, प्यास नहीं है, भूख नहीं है, संसार...