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उत्तर प्रदेश

गोरखपुर के ‘मरीन ड्राइव’ पर मिलेगा उत्तर भारत के फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का लुत्फ

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गोरखपुर। बीते सात सालों में योगी सरकार ने रामगढ़ताल क्षेत्र का ऐसा कायाकल्प किया है कि इस क्षेत्र की ख्याति गोरखपुर के ‘मरीन ड्राइव’ की हो गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे डिमांडेड टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित हुए रामगढ़ताल में क्रूज की सुविधा तो पहले से ही है, अब यहां फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का लुत्फ भी उठाया जा सकेगा। नैसर्गिक सौंदर्य वाले रामगढ़ताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त उत्तर भारत का फ्लोटिंग रेस्टोरेंट बनकर तैयार है। इसका उद्घाटन गुरुवार (19 सितंबर) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।

रामगढ़ताल क्षेत्र पर्यटन और खानपान के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र में हॉस्पिटैलिटी के तमाम ब्रांडेड प्रतिष्ठानों की दस्तक तो हो ही चुकी है। अब यहां पर्यटकों को रामगढ़ताल में ‘फ्लोट’ नाम से फ्लोटिंग रेस्टोरेंट यानी पानी पर तैरते रेस्तरां की सुविधा भी मिलेगी। लेक क्वीन क्रूज के बाद फ्लोटिंग रेस्टोरेंट सैलानियों के लिए बड़ी सौगात होगा।

दशकों तक उपेक्षित और गंदगी के पर्याय बने रहे रामगढ़ताल पर योगी सरकार ने ऐसी संजीदगी दिखाई कि आज इसकी गिनती पूर्वी उत्तर प्रदेश के खूबसूरत व दर्शनीय पर्यटन स्थल के रूप में अग्रपंक्ति में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में निखरे और संवरे रामगढ़ताल के साथ पर्यटन व रोजगार का कदमताल विकास की नई तस्वीर पेश करता है। आज यह ताल सैलानियों का मनभावन है तो बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम भी। सात साल पहले तक उपेक्षा के शिकार रहे रामगढ़ताल की गिनती पूर्वी उत्तर प्रदेश के पसंदीदा पर्यटक स्थल के रूप में हो रही है। जिस 1700 एकड़ विस्तृत प्राकृतिक ताल में शहर भर की गंदगी गिरती थी, वह सीएम योगी के विजन और उसके अनुरूप हुए विकास कार्यों से ऐसी निखर उठी है कि दूर दूर से लोग उसकी खूबसूरती का दीदार करने आ रहे हैं।

रामगढ़ताल में पर्यटक 15 दिसंबर 2023 को सीएम योगी के हाथों लोकार्पित ‘लेक क्वीन’ क्रूज की सवारी का आनंद उठा रहे हैं और अब इस ताल में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट पर लजीज व्यंजनों का लुत्फ भी उपलब्ध है। फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का निर्माण 17 अगस्त 2022 से शुरू हुआ था और अब यह बनकर तैयार हो चुका है। इंटीरियर को काफी आकर्षक बनाया गया है। कुल 9600 वर्गफुट क्षेत्रफल और तीन मंजिला इस फ्लोटिंग रेस्टोरेंट में एकसाथ 100 से 150 आगंतुक बैठ सकते हैं। ‘फ्लोट’ का संचालन करने वाली कंपनी के प्रबंध निदेशक आलोक अग्रवाल बताते हैं कि ग्राउंड फ्लोर से पहले और दूसरे फ्लोर तक लिफ्ट की भी सुविधा है। ग्राउंड फ्लोर पर बने फूड कोर्ट में शुद्ध शाकाहारी लजीज व्यंजनों की लंबी श्रृंखला है। जबकि पहले फ्लोर पर संगीतमय अंदाज में पार्टी की जा सकेगी। दूसरा फ्लोर ओपन रूफटॉप का है जहां खुले में बैठकर ताल का दीदार करने के साथ व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है। पूरे फ्लोटिंग रेस्टोरेंट की डिजाइन ऐसी है कि इसमें बैठने वालों को रामगढ़ताल की खूबसूरती पूरी तरह दिखेगी। इसके निर्माण पर दस करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है और इसे इंडियन रजिस्ट्रार ऑफ शिपिंग के मानकों के अनुरूप बनाया गया है।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को ये फ्लोटिंग रेस्टोरेंट से प्रतिमाह साढ़े चार लाख रुपये का राजस्व मिलेगा। जीडीए ने संचालक कंपनी से फिलहाल15 साल के लिए करार किया है। कार्य संतोषजनक रहने पर इसे 5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। जीडीए की तरफ से इसका उद्घाटन गुरुवार को दोपहर बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों कराया जाएगा।

जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन के अनुसार फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के उद्घाटन का औपचारिक कार्यक्रम रामगढ़ताल की जेटी पर होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों जीडीए की महत्वपूर्ण आवासीय योजना ‘ग्रीनवुड अपार्टमेंट’ के आवंटियों को आवंटन प्रमाण पत्र भी सौंपा जाएगा। ग्रीनवुड अपार्टमेंट रामगढ़ताल के समीप 5.20 एकड़ में बनाया जा रहा है। 374.49 करोड़ रुपये की लागत वाले इस आवासीय प्रोजेक्ट में थ्री बीएचके एचआईजी के 300 तथा फोर बीएचके एचआईजी के 179 फ्लैट्स बनेंगे। इसका अपार्टमेंट का निर्माण जुलाई 2027 तक पूर्ण कराने का लक्ष्य है।

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उत्तर प्रदेश

कश्मीर से लेकर पंजाब तक लोगों का रास आ रही कुशीनगर के केले की मिठास

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लखनऊ। योगी सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित बुद्ध महापरिनिर्वाण की धरती कुशीनगर के केले की मिठास पंजाब से लेकर कश्मीर तक के लोग ले रहे हैं। दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद, चंडीगढ़, लुधियाना और भटिंडा तक जाता है कुशीनगर का केला।
यही नहीं गोरखपुर मंडल से संबद्ध सभी जिलों और कानपुर में भी कुशीनगर के केले की धूम है। नेपाल और बिहार के भी लोग कुशीनगर के केले के मुरीद हैं।

कुशीनगर में करीब 16 हजार हेक्टयर रकबे पर हो रही केले की खेती

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध कुशीनगर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अशोक राय के मुताबिक यहां के किसान फल और सब्जी दोनों के लिए केले की फसल लेते हैं। इनके रकबे का अनुपात 70 और 30 फीसद का है। खाने के लिए सबसे पसंदीदा प्रजाति जी-9 और सब्जी के लिए रोबेस्टा है। जिले में लगभग 16000 हेक्टेयर में केले की खेती हो रही है।

ओडीओपी घोषित होने के बाद और बढ़ा केले की खेती का क्रेज

योगी सरकार द्वारा केले को कुशीनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित करने के बाद केले की खेती और प्रसंस्करण के जरिये सह उत्पाद बनाने का क्रेज बढ़ा है। कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं केले का जूस, चिप्स, आटा, अचार और इसके तने से रेशा निकालकर चटाई, डलिया एवम चप्पल आदि भी बना रहीं हैं। इनका खासा क्रेज और मांग भी है।

17 साल में 32 गुना बढ़ा खेती का रकबा

अशोक राय बताते हैं कि 2007 में कुशीनगर में मात्र 500 हेक्टेयर रकबे में केले की खेती होती होती थी। अब यह 32 गुना बढ़कर करीब 16000 हेक्टेयर तक हो गया है। जिले का ओडीओपी घोषित होने के बाद इसके प्रति रुझान और बढ़ा है। सरकार प्रति हेक्टेयर केले की खेती पर करीब 31 हजार रुपये का अनुदान भी किसान को देती है।

कुशीनगर के केले को लोकप्रिय बनाने में गोरखपुर की अहम भूमिका

कुशीनगर, गोरखपुर मंडल में आता है। यहां फलों और सब्जियों की बड़ी मंडी है। शुरू में कुशीनगर के कुछ किसान केला बेचने यहां की मंडी में आते थे। फल की गुणवत्ता अच्छी थी। लिहाजा गोरखपुर के कुछ व्यापारी कुशीनगर के उत्पादक क्षेत्रों से जाकर सीधे किसानों के खेत से केला खरीदने लगे। चूंकि सेब, किन्नू और पलटी के माल के कारोबार के लिए गोरखपुर के व्यापारियों का कश्मीर, पंजाब और दिल्ली के व्यापारियों से संबंध था, लिहाजा यहां के कारोबारियों के जरिये कुशीनगर के केले की लोकप्रियता अन्य जगहों तक पहुंच गई। मौजूदा समय में कुशीनगर का केला कश्मीर, पंजाब के भटिंडा, लुधियाना, चंडीगढ़, भटिंडा, लुधियाना, कानपुर, दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ समेत कई बड़े शहरों तक जाता है।

प्रशासन ने की थी केले की खेती को उद्योग का दर्जा देने की पहल

केले की खेती की ओर जिले के किसानों का झुकाव देख पूर्व डीएम उमेश मिश्र ने केले को खेती को उद्योग का दर्जा दिलाने की कवायद शुरू की थी। इस बाबत उन्होंने बैंकर्स की मीटिंग भी की थी। साथ ही केन्द्र और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत केला उत्पादकों को आसान शर्तों पर ऋण मुहैया कराने के निर्देश दिए थे।

दशहरा और छठ होता है बिक्री का मुख्य सीजन

सिरसियां दीक्षित निवासी मुरलीधर दीक्षित, भरवलिया निवासी मृत्युंजयय मिश्रा, विजयीछपरा निवासी शिवनाथ कुशवाहा केले के बड़े किसान हैं। देश और प्रदेश के कई बड़े शहरों में कमीशन एजेंटों के जरिये इनका केला जाता है। इन लोगों के अनुसार नवरात्र के ठीक पहले त्योहारी मांग की वजह से कारोबार का पीक सीजन होता है।

स्थानीय स्तर पर रोजगार भी दे रहा केला

केले की खेती श्रमसाध्य होती है। रोपण के लिए गड्ढे खोदने, उसमें खाद डालने, रोपण, नियमित अंतराल पर सिंचाई, फसल संरक्षा के उपाय, तैयार फलों के काटने उनकी लोडिंग,अनलोडिंग और परिवहन तक खासा रोजगार मिलता है।

फरवरी और जुलाई रोपण का उचित समय

कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार (गोरखपुर) के सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह के मुताबिक केले के रोपण का उचित समय फरवरी और जुलाई-अगस्त है। जो किसान बड़े रकबे में खेती करते हैं उनको जोखिम कम करने के लिए दोनों सीजन में केले की खेती करनी चाहिए।

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