ऑफ़बीट
OFFICE में अगर MALE कलीग करें परेशान, तो फ़ौरन उठाएं ये 5 कदम
नई दिल्ली। घर से बाहर हो या ऑफिस अक्सर महिलाओं और लड़कियों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ ही जाता है। घर से बाहर जहां महिलाओं को कई बार गन्दी नजरों और छेड़खानियों का सामना करना पड़ता है, तो वहीँ ऑफिस में अधिकतर मेल कलीग्स की गलत हरकतों का।
लेकिन अब लड़कियों को इस बात से घबराने की कोई जरुरत नहीं है, क्यूंकि आज हम आपके लिए इससे बचने के कुछ ऐसे तरीके लेकर आएं है। जिसे पढ़कर आप इस मुसीबत से चुटकियों में छुटकारा पा सकतीं है।
बचने की करें कोशिश-
सबसे पहला मूलमंत्र है कि आप ऐसे लोगों से बचने की कोशिश करें। अपने काम से काम रखें और उनके मुंह न लगें। जितना हो सकें उतना कम उससे बात करें।
ख़ुद पर करें कंट्रोल–
ख़ुदा न खास्ता अगर ऐसे लोगों से किसी बात पर आप उलझ गए हों, तो तुरंत ख़ुद को संभालें। उसकी तरह आप भी अपना कंट्रोल न खोएं। उसे जितना चिल्लाना हो, चिल्लाने दें। आप उसकी तरह बिल्कुल भी बिहेव न करें। तुरंत अपनी जगह आएं और बैठ जाएं, क्योंकि ऐसे लोग अक्सर आपसे बिना बात के उलझने की कोशिश करते हैं।
डरें नहीं–
ऐसा अक्सर होता है कि आप ऐसे कलीग्स के मुंह नहीं लगना चाहती, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप उससे डर जाएं। आप अगर सही हैं, तो ऑफिस में भूलकर भी उससे डरने की ग़लती न करें। अपनी बात सही तरह से रखें। आपके डरने से वो आप पर और हावी हो जाएगा और ऑफिस में लोग ये समझेंगे कि ग़लती आपकी ही है।
प्लीज़ मेंटेंन द गैप
अक्सर आपने गाड़ियों के पीछे ये लिखा हुआ देखा होगा। ये इसलिए लिखा होता है कि हो सकता है कि गाड़ी अचानक ब्रेक लगा दे और आपको नुक़सान पहुंचे। ऑफिस में हर तरह के मेल कलीग होते हैं। आप जबरदस्ती परेशान करने वाले कलीग से उलझने की ग़लती न करें। कोशिश करें कि उनसें एक उचित दूरी बनाएं रखने को कहें।
मैनेजमेंट से करें शिकायत-
एक बात का जरुर ध्यान रखें कि अगर आप के कई बार समझाने के बाद भी मेल कलीग आपकी बातों को नजरअंदाज करता है, तो आप इसकी शिकायत मैनेजमेंट से जरुर करें, ऐसा करने से आपको जरुर मदद मिल सकती है।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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