आध्यात्म
प्रेम मन्दिर में साधू भोज कार्यक्रम का आयोजन, पांच हजार साधुओं को दिए उपहार

उपहार पाकर साधू बोले कृपालु जी महाराज से नही बड़ा कोई दानी
वृन्दावन। जगद्गुरु कृपालु परिषद श्यामा श्याम धाम समिति के तत्वावधान में आयोजित वृन्दावन क्षेत्र के पांच हजार साधुओं को प्रेम मन्दिर (Prem Mandir) में भोज के साथ दिए उपहार। साधू भोज कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरु कृपालु परिषद की चेयरपर्सन डॉ. विशाखा त्रिपाठी ने कहा कि इन धार्मिक आयोजनों के मार्ग निर्माण उनके पिता जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने किया आज उनकी बनाई हुई संस्था उनके पथ पर चलकर अपने दायित्वों का बाखूबी निर्वहन कर रही है।
इस अवसर जेकेपी श्यामाश्याम धाम समिति की अध्यक्षा डॉ श्यामा त्रिपाठी एवं अनुजा डॉ कृष्णा त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से कहा कि बड़ी दीदी के दिशा निर्देशन में हमारी संस्था को ब्रजवासियों की सेवा से आंनद अनुभूति होती है, बृजवासी स्वयं भगवान के स्वरूप होते है, और इनकी सेवा करने से अन्तःकरण शुध्द होता है।
मंगलवार को चार हजार निराश्रित एवं विधवाओ को मिलेगा उपहार
साधू भोज के इस अवसर पर प्रेम मन्दिर के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर अजय त्रिपाठी ने जाकारी देते हुए बताया कि पांच हजार साधुओं को 15 प्रकार दैनिक वस्तुएं दक्षिणा के साथ प्रदान की गई। मंगलबार को प्रेम मन्दिर के प्रांगण में वृन्दावन क्षेत्र की चार हजार निराश्रित एवं विधवा महिलाओं को भोजन पैकेट व दक्षिणा के साथ 18 प्रकार की दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री से भरा बैग उपलब्ध कराया जाएगा।
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आध्यात्म
महाशिवरात्रि 2025 : जानें क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व, क्या है पूजा विधि

नई दिल्ली। हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन शाम को विशेष पूजा का महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव की रात्रि 4 पहर पूजा करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में इस अवसर आप भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा, व्रत और मंत्र आदि जप पर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि महादेव अन्य देवों की तुलना बहुत दयालु हैं, उन्हें महज बेलपत्र चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है।
क्या है पूजा विधि?
सबसे पहले सुबह स्नान आदि करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद दूध-दही,शहद, घी और गंगाजल आदि से भोलेनाथ का अभिषेक करें। याद रहे कि जलाभिषेक करते समय आपका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। फिर शिवलिंग पर भस्म लगाएं और बेलपत्र, मोली,साबुत अक्षत, फल, पान-सुपारी अर्पित करें। फिर महादेव की आरती करें और शिवलिंग के सामने शिव गायत्री मंत्र “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” या फिर शिव नामावली मंत्र- श्री शिवाय नम:” का जप करें।
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