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शपथ लेने के दौरान लगे जय श्रीराम के नारे, पलटकर ओवैसी ने कहा अल्लाह-हू-अकबर

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हुए संसद सत्र के दूसरे दिन आल इंडिया मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बतौर सांसद शपथ ली।

इस दौरान संसद में अलग नजारा देखने को मिला। दरअसल, मंगलवार को जैसे ही ओवैसी शपथ के उठे बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने जय श्रीराम, भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाने शुरू कर दिए।

इसके बाद ओवैसी ने इशारों में और जोर-जोर से नारे लगाने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने सांसद पद की शपथ ली और अंत में जय भीम, जय मीम, अल्लाह-हू-अकबर और जय हिन्द के नारे लगाए।

शपथ के दौरान हुई नारेबाजी पर ओवैसी ने कहा कि अच्छी बात है कम से कम मुझे देखकर उन्हें राम की याद तो आई। उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उम्मीद है कि बीजेपी वालों को संविधान और मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत भी याद रहेगी।

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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का आज आखिरी कार्य दिवस

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नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से विदाई दी गई. उन्होंने अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक फेयरवेल समारोह में विदाई दी गई. इस दौरान उन्होंने सीजीआई के तौर पर अपना आखिरी संदेश भी दिया.इस समारोह में जस्टिस संजीव खन्ना जो देश के अगले चीफ जस्टिस बनेंगे, उन्होंने CJI चंद्रचूड़ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके (डी.वाई. चंद्रचूड़) हटने से उच्चतम न्यायलय में एक खालीपन आ जाएगा जिसे हम सोमवार से महसूस करेंगे।

बार एसोसिएशन का दिया धन्यवाद

अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इतने बड़े सम्मान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को धन्यवाद दिया. इस दौरान उन्होंने अपने नाम से जुड़ा एक वाक्या सुनाया. उन्होंने कहा कि उनकी मां ने एक बार कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है, लेकिन ‘धनंजय’ में जो ‘धन’ है, वह भौतिक धन नहीं है.’

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को अपनी विदाई भाषण में कहा कि अगर मैंने किसी को जाने-अनजाने में ठेस पहुंचाई हो तो मुझे माफ कर देना. सीजेआई ने कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिन्हें वह नहीं जानते थे या जिनसे कभी नहीं मिले थे. अपने विदाई समारोह में सीजेआई ने एक युवा विधि छात्र के रूप में न्यायालय की अंतिम पंक्ति में बैठने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के गलियारों तक के अपने सफर के बारे में बताया.

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