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अन्तर्राष्ट्रीय

यहां तपती धूप में घर से निकलना है भारी … वहां 11.3 लाख लोगों को सूरज तक पहुंचने की है बेकरारी

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नासा ने अपना पार्कर यान को पहली बार सूरज के बेहद करीब भेजने की तैयारी रहा है। यह यान अपने सात साल लंबे अभियान के दौरान पार्कर सोलर प्रोब नामक यह यान 24 बार सूर्य के वायुमंडल के करीब से गुजरेगा। अभी तक कोई भी अन्य यान सूर्य के इतने करीब नहीं गया है।

पार्कर प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक निकोल फॉक्स ने बताया, ” हमने इस प्रोजेक्ट में सूर्य के करीब अपना नाम भेजने के लिए उत्सुक लोगों से नाम मांगे थे। इसमें 11.3 लाख लोगों ने अपना नाम भेजा है। इसमें एक मेमोरी कार्ड में संग्रह कर 18 मई को यान में लगा दिया गया है।”

पार्कर, अब तक का सूर्य के सबसे करीब पहुंचने वाला यान होगा। (फोटो – नासा)

पार्कर सोलर यान सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। इसकी मदद से जुटाए गए डाटा से सूर्य पर होने वाले विस्फोटों का पता लगाने में मदद मिलेगी। इस अभियान का नाम सोलर विंड (सौर पवन) की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक पार्कर के नाम पर रखा गया है। नासा का यह पहला अभियान है, जिसका नाम किसी जीवित व्यक्ति के ऊपर रखा गया है।

मेमोरी कार्ड के ज़रिए यान से सूरज के करीब भेजे जाएंगे लोगों के नाम।  ( फोटो – नासा)

” इस अभियान से हम अपने सबसे नज़दीकी तारे के बारे में कई बातें जान पाएंगे। किसी अंतरिक्ष यान का यह अब तक का सबसे कठिन अभियान है। इसके साथ उन लाखों लोगों के नाम भेजे जा रहे हैं,जो इस अभियान का उत्साहवर्द्धन कर रहे हैं।” निकोल फॉक्स ने आगे बताया।

अन्तर्राष्ट्रीय

ईरान का फाइटर प्लेन दुर्घटना का शिकार, दो पायलटों की मौत

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तेहरान। ईरान का एक लड़ाकू विमान बुधवार को देश के दक्षिणी हिस्से में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में दो पायलटों की मौत हो गई। हालांकि यह विमान वाकई किसी दुर्घटना का शिकार हुआ या फिर इसे किसी देश ने मार गिराया। इसके बारे में अभी कोई स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं मिल सकी है। पायलटों की पहचान कर्नल हामिद रजा रंजबार और कर्नल मनौचेहर पीरजादे के रूप में की गई है।

ईरान की मीडिया में सामने आई खबरों के अनुसार विमान की मरम्मत के बाद पायलट परीक्षण उड़ान पर थे। यह दुर्घटना राजधानी तेहरान से लगभग 770 किलोमीटर दक्षिण में फिरोजाबाद शहर के पास हुई। रिपोर्ट में विमान के प्रकार या दुर्घटना के कारण के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया।

ईरान की वायु सेना के पास 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले खरीदे गए अमेरिका निर्मित कई सैन्य विमान हैं। टॉमकैट एफ-14 अमेरिका निर्मित विमान है, ईरान के पास रूस निर्मित मिग और सुखोई विमान भी हैं। दशकों से पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण देश को विमान के ‘स्पेयर पार्ट्स’ (खराब हुए पुर्जों की जगह नए पुर्जे) प्राप्त करना और पुराने विमानों का रखरखाव करना मुश्किल हो रहा है।

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