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ज्ञानवापी मस्जिद में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग कराने को SC में याचिका दायर

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Gyanvapi case

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नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में एक नई अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि मस्जिद में पाए गए ‘शिवलिंग’ की एएसआई से कार्बन डेटिंग कराई जानी चाहिए। इससे उसकी ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता साबित हो सकेगी।

7 हिंदू महिलाओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इसका ग्राउंड पेनिट्रेशन राडार सर्वे भी होना चाहिए। इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में जहां से ‘शिवलिंग’ पाया गया है, उसकी सुरक्षा की जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष को आदेश दिया था कि वह अगले आदेश तक किसी और स्थान पर वजू करे।

एडवोकेट विष्णु जैन के जरिए महिलाओं ने याचिका दायर कर मांग की है कि वह श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को आदेश दे कि वह ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ को ले ले। इसके अलावा पुराने मंदिर से सटी जमीन पर भी कब्जा ले।

याचिका में कहा गया है कि वहां विराजमान शिवलिंग की  कालगणना नहीं की जा सकती। उसके परिधि में आने वाली 5 कोस भूमि पर मंदिर का अधिकार है। याचिका दायर करने वाली महिलाओं में से एक एडवोकेट है, एक प्रोफेसर है और 5 सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं।

उन्होंने अपनी अर्जी में कहा कि ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ की ऐतिहासिकता का पता सिर्फ जीपीआर सर्वे और कार्बन डेटिंग से ही लगाया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद का स्वरूप दिया गया था, वह वक्फ की जमीन नहीं है।

अर्जी में महिलाओं ने कहा कि ज्ञानवापी में मिला ‘शिवलिंग’ स्वयंभू यानी स्वयं अवतरित है, जबकि नए मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग रानी अहिल्या बाई होलकर के दौर का है। यही नहीं उनका कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ऐक्ट, 1983 के तहत नए मंदिर परिसर के अलावा पुराने मंदिर का क्षेत्र भी आता है। इसका अर्थ यह है कि श्रद्धालु मुख्य परिसर में पूजा अर्चना करने के अलावा आसपास के मंदिरों, स्थापित प्रतिमाओं की भी पूजा कर सकते हैं।

नेशनल

यूपी में उपचुनाव की तारीखों का एलान, जानें किस दिन आएंगे नतीजे

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। मंगलवार को चुनाव आयोग ऐलान करते हुए मतदान के लिए 13 नवंबर की तारीख फाइनल की है। वहीं फाइनल नतीजे 23 नवंबर की तारीख को आ जाएंगे। तारीख का ऐलान होने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी ने कमर कस ली है। आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के साथ ही इन सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया है। 10 में से एक सीट मिल्कीपुर पर चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है। वहीं उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग और परिणाम 23 नवंबर को आएगा।

सीएम योगी और अखिलेश यादव दोनों के लिए ये चुनाव परीक्षा की घड़ी है। लोकसभा चुनावों में जोरदार कामयाबी के बाद अखिलेश यादव के हौसले बुलंद है तो बीजेपी लोकसभा चुनाव में खोए विश्ववास को जीतना चाहेगी। दोनों पार्टी अपनी साख बचाने के लिए उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकेगी।

इन 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

यूपी की जिन सीटों पर उपचुनाव होंगे, उनमें उसमें मैनपुरी के करहल, प्रयागराज के फूलपुर, कानपुर के सीसामऊ, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल है। इनमें से नौ सीटें इसी साल जून में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में इनके विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थीं। वहीं, सीसामऊ सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाने के चलते उनकी सदस्यता रद्द किये जाने के कारण उपचुनाव हो रहे हैं।

सपा ने 6 सीटों पर किया प्रत्याशियों के नामों की घोषणा

अखिलेश यादव ने यूपी में होने वाले उपचुनाव के लिए 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुके हैं। वहीं, भाजपा ने 9 सीटों को अपने पास रखा है और एक सीट रालोद को दी है। बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं पर नाम की घोषणा अभी नहीं की गई है। वहीं, बसपा चीफ मायावती ने भी उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है पर बसपा से अभी कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं आया है।

 

 

 

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