अन्तर्राष्ट्रीय
PHOTOS: जापान में छोटी-छोटी बच्चियां देती हैं अडल्ट परफॉर्मेंस, दर्शक होते हैं 40 के मर्द
टोक्यो। जापान में पिछले दशक में चाइल्ड पोर्नोग्राफी में बच्चों की संख्या में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है। यहां छोटी-छोटी बच्चियां भी अब पैसों की खातिर अडल्ट परफॉर्मेंस देने से पीछे नहीं हट रही है।
हैरानी की बात ये है कि बच्चियों के पेरेंट्स भी उन्हें ऐसा करने से नहीं रोकते। जापान की राजधानी टोक्यो से ही एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है कि जहां 6 साल की बच्ची अडल्ट परफॉर्मेंस दे रही है और 40 साल से ज्यादा उम्र के मर्द उसका मजा लूट रहे हैं।
इस बच्ची का मेकअप किया गया है और उसके बालों में रिबन लगाए गए हैं। उसे किसी व्यस्क लड़की की तरह ही तैयार किया गया है। जापान में इस तरह की परफॉर्मेंस करने वाली कम उम्र की लड़कियों को आइडल सिंगर कहा जाता है, जो जापान में काफी आम है।
मानवाधिकार से जुड़े समूहों ने शिकायत की है कि छोटी लड़कियों को इस तरह से पेश करने की इजाजत देना कहीं न कहीं उन्हें खतरे में डाल रहा है। साल 2015 में जापान में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध माना गया, फिर भी कई अथॉरिटी इस मुद्दे पर देश को उन्नत देशों की श्रेणी में खड़ा करने के लिए संघर्ष कर रही है।
बच्चियों का शो देखने वाले एक युवक ने बताया कि वह अक्सर यहां बच्चियों को परफॉर्म करते हुए देखने आता है। उन्हें इस बात की कोई शर्म नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी माना कि यहां आये ज्यादातर लोग बच्चियों को सेक्स की निगाहों से देखते हैं।
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इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून
ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।
क्या होगा कानून
इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।
विधेयक पर तीखी बहस
ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा।
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