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PM मोदी के कपड़ों की सिर्फ इतनी है कीमत, विपक्ष को भी लगेगा झटका

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नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी जब सूट-बूट पहनकर निकलते है, तो सभी का मुंह देखने लायक होता है। वजह है उनकी ठाट-बाट के साथ उनके कपड़े। मोदी प्रधानमंत्री हैं तो जरुर ही इनका सूट काफी महंगा होगा। ऐसी धारणा अक्सर लोगों के दिलोंदिमाग में होती है। अब उनके कपड़ों को लेकर एक ऐसा सच सामने आया है। जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे।

दरअसल, मोदी ने पीएम बनने के बाद एक सूट पहना था जो काफी विवादों में भी घिर गया था पीएम मोदी के इस बंद गले वाले सूट में उनका पूरा नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी लिखा हुआ था। माना जा रहा था कि यह सूट काफी महंगा है। कांग्रेस ने इस सूट के लिए पीएम मोदी की आलोचना की थी। राहुल गांधी ने इसी सूट को निशाना बनाते हुए बीजेपी सरकार को सूट बूट की सरकार कहा था। अब एक आरटीआई के जरिये देश के प्रधानमंत्रियों द्वारा कपड़ों पर खर्च की जाने वाली रकम को लेकर रोचक जानकारी आई है।

आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सभरवाल ने पीएमओ से जानकारी मांगी थी कि 1998 से लेकर अबतक देश के प्रधानमंत्रियों के कपड़े पर कितना खर्च किया गया है। इस काल अवधि में अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह भी आते हैं।

पीएमओ ने अपने जवाब में स्पष्ट रूप से कहा था कि मांगी गई सूचना व्यक्तिगत किस्म की है, इसे सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता है। पीएमओ ने जवाब में यह भी कहा है कि पीएम के निजी लिबास पर खर्च की गई राशि सरकार वहन नहीं करती है, ये जितनी भी रकम होती है यह उनकी निजी राशि है।

आरटीआई कार्यकर्ता रोहित सभरवाल ने कहा कि अब यह विवाद हमेशा के लिए खत्म हो गया है कि भारत सरकार प्रधानमंत्रियों के कपड़े पर भारी पैसे खर्च करती है। इस जानकारी के बाद बीजेपी ने कहा है कि विपक्षी दलों को अब समझ जाना चाहिए कि वह बेकार में हंगामा खड़ा कर रहे थे।

 

 

 

 

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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