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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर बने दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता, 70 प्रतिशत रेटिंग के साथ फिर रहे सबसे आगे

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नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे प्रशंसित नेता हैं। एक सर्वे में पीएम मोदी ने टॉप किया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कू ऐप पर जानकारी देते हुए लिखा, “पीएम #नरेंद्रमोदी जी दुनिया के सबसे प्रशंसित नेता बने हुए हैं।’

उन्होंने कहा, ’70 प्रतिशत की अनुमोदन रेटिंग के साथ वह एक बार फिर वैश्विक नेताओं में सबसे आगे हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी को 13 वैश्विक नेताओं की मंजूरी मिल गई है। सर्वे के मुताबिक, पीएम मोदी मैक्सिकन राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर से आगे हैं। इस सूची में ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन, कनाडा के पीएम ट्रूडो, यूके के प्रधान मंत्री बोरिस जोंसन, ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो आदि भी शामिल हैं। इससे पहले भी, पीएम मोदी 70 के अनुमोदन प्रतिशत के साथ सबसे प्रशंसित नेता की सूची में सबसे ऊपर थे।

मॉर्निंग कंसल्ट द्वारा प्रत्येक देश के वयस्कों के साथ साक्षात्कार के आधार पर अनुमोदन और अस्वीकृति रेटिंग निर्धारित की जाती है। यह आंकड़ा तैयार करने के लिए मॉर्निंग कंसल्ट ने भारत में 2,126 लोगों का ऑनलाइन इंटरव्यू लिया। अमेरिकी डेटा इंटेलिजेंस फर्म मॉर्निंग कंसल्ट ने ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में शीर्ष नेताओं के लिए अनुमोदन रेटिंग को ट्रैक किया है। खुफिया फर्म के अनुसार, इसकी रेटिंग प्रत्येक देश में वयस्क निवासियों के सात दिनों के बदलते औसत पर आधारित है।

1.नरेंद्र मोदी: 70 प्रतिशत

2. लोप ओब्रेडर: 66 प्रतिशत

3. मारियो ड्रैगी: 58 प्रतिशत

4. एंजेला मर्केल: 54 प्रतिशत

5. स्कॉट मॉरिसन: 47 प्रतिशत

6. जस्टिन ट्रूडो: 45 प्रतिशत

7. जो बिडेन: 44 प्रतिशत

8. फुमियो किशिदा: 42 प्रतिशत

9. मून जे-इन: 41 प्रतिशत

10. बोरिस जॉनसन: 40 प्रतिशत

11. पेड्रो सांचेज़: 37 प्रतिशत

12. इमैनुएल मैक्रों: 36 प्रतिशत

13. जायर बोल्सोनारो: 35 प्रतिशत

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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