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राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला, कहा- सेना के गौरव व पराक्रम से समझौता
नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले में लगातार तीसरे दिन जारी पूछताछ के बीच लंच के लिए बाहर निकलते ही राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला किया। उन्होंने केंद्र सरकार की अग्निपथ स्कीम को लेकर कहा कि भाजपा सरकार सेना के गौरव, पंरपरा, पराक्रम और अनुशासन से समझौता कर रही है।
एक ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा, जब भारत के सामने दो मोर्चों पर चुनौती है तो अग्निपथ स्कीम सशत्र बलों के ऑपरेशनल इफेक्टिवनेस को कम कर सकती है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को सेना के गौरव और पंरपरा के साथ खिलवाड़ करना बंद कर देना चाहिए।
When India faces threats on two fronts, the uncalled for Agnipath scheme reduces the operational effectiveness of our armed forces.
The BJP govt must stop compromising the dignity, traditions, valour & discipline of our forces.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 15, 2022
प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस योजना को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है?
युवा कह रहे हैं कि ये 4 साला नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं। सेना भर्ती से जुड़े संवेदनशील मसले पर न कोई चर्चा, न कोई गंभीर सोच-विचार। बस मनमानी?’
भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है?
युवा कह रहे हैं कि ये 4 साला नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं।
सेना भर्ती से जुड़े संवेदनशील मसले पर न कोई चर्चा, न कोई गंभीर सोच-विचार।
बस मनमानी? pic.twitter.com/nNn83Cq0sq— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 15, 2022
क्या है अग्निपथ स्कीम?
बता दें कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने सेना में अग्निपथ स्कीम की शुरुआत की है। एक तरफ केंद्र सरकार के मंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक इस योजना की तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्ष इसपर सवाल उठा रहा है।
कई जगहों पर इस योजना के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। इस योजना के तहत हर साल 40 से 50 हजार युवाओं को सेना में शामिल किया जाएगा। ये भर्तियां मेरिट और मेडिकल के आधार पर होंगी।
इसमें 30 से 40 हजार के वेतन के साथ अन्य लाभ दिए जाएंगे। यह भर्ती केवल चार साल के लिए ही होगी और फिर सभी अग्निवीरों की सेवा समाप्त हो जाएगी। 25 फीसदी अग्निवीरों को परमानेंट किया जाएगा।
नेशनल
पत्नी से परेशान सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने की आत्महत्या, जानें क्या है वजह
बेंगलुरु। उत्तर प्रदेश निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में मंगलवार को उसकी पत्नी और उसके परिजनों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने शादी के बाद जारी तनाव और उसके खिलाफ दर्ज कई मामलों और उसकी पत्नी, उसके रिश्तेदार और उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश की ओर से प्रताड़ित किए जाने का विस्तृत विवरण दिया है.
पुलिस ने बताया कि सुभाष का शव मंजूनाथ लेआउट क्षेत्र में स्थित उनके आवास पर फंदे से लटका मिला. उनके कमरे में एक तख्ती भी लटकी मिली, जिसमें लिखा था ‘न्याय मिलना बाकी’ है. अतुल सुभाष ने आत्महत्या करने से पहले डेढ़ घंटे का एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने उन सभी परिस्थितियों का जिक्र किया, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
सुभाष ने वीडियो में क्या कहा?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सुभाष यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि, “मुझे लगता है कि आत्महत्या कर लेनी चाहिए, क्योंकि मैं जो रुपये कमा रहा हूं उससे मेरे दुश्मन और मजबूत हो रहे हैं. उन्हीं रुपयों का इस्तेमाल मुझे बर्बाद करने के लिए किया जा रहा है और यह चक्र यू हीं चलता रहेगा. मेरी ओर से चुकाए गए टैक्स से मिले पैसे से यह कोर्ट और पुलिस व्यवस्था मुझे, मेरे परिवार को और अन्य सज्जन लोगों को परेशान करेगी.”
सुभाष ने मांग की कि उनकी मौत के बाद पत्नी और उसके परिवार को उनके शव के पास जाने की अनुमति न दी जाए. उन्होंने वीडियो में अपने परिजनों से कहा, “जब तक उनका कथित उत्पीड़न करने वालों को सजा नहीं मिल जाती तब तक वे उनकी अस्थियों का विसर्जन न करें. सुभाष ने न्याय की मांग करते हुए अपने परिजनों से आग्रह किया कि यदि उसका उत्पीड़न करने वालों को दोषी नहीं ठहराया जाता है तो वे उसकी अस्थियों को अदालत के नाले के बाहर फेंक दें.”
कौन हैं रीता कौशिक
रीता कौशिक फिलहाल जौनपुर में प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज हैं। एक जुलाई 1968 को मुजफ्फरनगर में जन्मीं रीता कौशिक ने 20 मार्च 1996 में मुंसिफ के तौर पर अपने न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी। 1999 में वह सहारनपुर में जूडिशल मैजिस्ट्रेट रहीं। 2000-2002 तक उन्होंने मथुरा में अडिशनल सिविल जज की जिम्मेदारी संभाली। मथुरा ही में वह सिविल जज बन गईं। 2003 में उनका ट्रांसफर अमरोहा हो गया, जहां वह सिवल जज (जूनियर डिविजन) के तौर पर तैनात रहीं।
2003 से 2004 तक लखनऊ में स्पेशल सीजेएम रहीं। इसके बाद प्रमोट होकर अडिशनल चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट बन गईं।वह अयोध्या में भी डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज रहीं। इसके बाद साल 2018 में वह पहली बार अयोध्या में ही फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनीं। 2022 तक वह अयोध्या में तैनात रहीं। इसके बाद उनका ट्रांसफर जौनपुर में हो गया। तब से वह यहीं पर फैमिली कोर्ट में प्रिंसिपल जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
मेन्स राइट्स एक्टिविस्ट ने की कार्रवाई की मांग
वहीं इस मामले में वकील आभा सिंह ने कहा, “बेंगलुरु में एक 34 वर्षीय युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली और उसने एक सुसाइड नोट छोड़ा है. उसने उल्लेख किया है कि उसके खिलाफ नौ पुलिस शिकायतें दर्ज की गई हैं, हत्या, दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के झूठे आरोप हैं. सुसाइड नोट में कहा गया है कि यह सच नहीं था और वह व्यक्ति अपनी पत्नी को दो लाख रुपये दे रहा था.”
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