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उत्तर प्रदेश

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर भीषण सड़क हादसा, सैफई मेडिकल कॉलेज के 5 डॉक्टरों की मौत

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कन्नौज। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुए एक भीषण सड़क हादसे में सैफई मेडिकल कॉलेज के 5 डॉक्टरों की मौत हो गई है। सभी दोस्त की शादी समाराेह अटेंड करे वापस लौट रहे थे, जब उनकी स्कॉर्पियो डिवाइडर से टकराकर पलट गई और सामने से आ रहे ट्रक ने उसमें जोरदार टक्कर मार दी।

इस हादसे के वक्त स्कार्पियो सवार 6 लोग थे, जिनमें से 5 की मौके पर ही मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है। मरने वाले सभी डॉक्टर सैफई मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रहे थे। हादसे के समय स्कॉर्पियो की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा के आस-पास बताई जा रही है। मृतकों की पहचान आगरा के निवासी डॉ. अनिरुद्ध वर्मा (29), भदोही के संतोष कुमार मौर्य (46), कन्नौज के डॉ. अरुण कुमार (34), बरेली के निवासी डॉ. नरदेव (35) और प्रयोगशाला तकनीशियन राकेश कुमार (38) के रूप में हुई है।

घटना को लेकर पुलिस अधीक्षक कन्नौज,अमित कुमार आनंद ने बताया कि आगरा एक्सप्रेस-वे पर एक स्कॉर्पियो गाड़ी अनियंत्रित होकर डिवाइडर तोड़ दूसरी तरफ आकर ट्रक से टकरा गई। घटना में 5 लोगों की मौत हुई है। एक व्यक्ति घायल है। मृतक डॉक्टर थे। सभी के परिवारजनों को सूचित कर दिया गया है।

पुलिस ने बताया कि स्कॉर्पियो कार चालक का वाहन पर से नियंत्रण खो गया और वह डिवाइडर से टकरा गया। डिवाइडर से टकराने के बाद कार सड़क के दूसरी ओर जा गिरी, जिसके बाद एक ट्रक से उसकी टक्कर हो गई। चार डॉक्टर और एक लैब तकनीशियन की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। PG का एक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे तिर्वा में भीमराव आंबेडकर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना

टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।

ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा

एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।

 

 

 

 

 

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