राजस्थान में सर्दी ने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। रविवार को छह स्थानों पर पारा जमाव बिंदु (जीरो) से नीचे पहुंच गया। बर्फीली हवाओं ने राजस्थान में लोगों को हिल स्टेशन का अहसास करवा दिया। यहां बर्फ आसमान से तो नहीं गिरी मगर जमीन पर खूब जमी। पेड़-पौधे, वाहन, खुले मैदान, पानी के पाइप सहित जो भी सामान खुले में था, वह पानी की बूंदे बर्फ में तब्दील हो गई। पूरे प्रदेश में सबसे कम तापमान फतेहपुर कृषि अनुसंधान केंद्र पर माइनस 5.2 डिग्री दर्ज किया गया।

फसलों से लेकर धोरों तक पर बर्फ की चादर बिछ गई। पक्षियों के पात्र में रखा पानी बर्फ में तब्दील हो गया। दुपहिया वाहनों की सीटों व चौपहिया वाहनों की छतों पर बर्फ की मोटी परत जम गई। कड़ाके की सर्दी का असर जनजीवन पर भी देखने को मिला।

लोग देर तक रजाई में दुबके रहे। जरूरी कामकाज के लिए बाहर निकले लोग भी गर्म लबादों में ढके जहां-तहां अलाव जलाकर सर्दी से बचने का जुगाड़ करते दिखे। तेज सर्दी के कारण फसलों को नुकसान होने की संभावना है।

फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. केसी वर्मा ने बताया कि रविवार का तापमान दिसम्बर माह में गत तीस वर्षों में सबसे कम रहा। इससे पहले 30 दिसंबर 2014 को तापमान माइनस 4.6 डिग्री तथा 19 दिसंबर और 30 दिसंबर 2018 को तापमान माइनस 4.5 डिग्री दर्ज किया गया था। इलाके में अब तक सबसे कम तापमान 8 जनवरी 2006 को माइनस 5.5 दर्ज किया गया था।

जिले में सर्दी ने पिछले 10 वर्षों से ज्यादा का रिकॉर्ड तोड़कर पारा माइनस 1.1 डिग्री पर पहुंच गया। घर के बाहर खड़ी कारों की छतों पर बर्फ की परत जमी दिखी तो कहीं बाल्टियों में रखे पानी की सतह बर्फ की बन गई।
