राजनीति
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सरदार हरशरण सिंह बल्ली ने थामा बीजेपी का हाथ
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सरदार हरशरण सिंह बल्ली ने भाजपा का दामन थाम लिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की उपस्थिती में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। उनके साथ उनके पुत्र व आम आदमी पार्टी के युवा नेता सरदार गुरमीत सिंह बल्ली (रिकू) ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
चार बार रह चुके विधायक
बता दें कि सरदार हरशरण सिंह बल्ली दिल्ली की हरि नगर सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। वे पहली बार 1993 में विधायक बने, उसके बाद 2013 में आखिरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे। बल्ली मदनलाल खुराना की सरकार में मंत्री भी रहे थे। उन्होंने इंडस्ट्री, श्रम, जेल, भाषा और गुरुद्वारा प्रशासन समेत कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली।
2020 में AAP में हुए थे शामिल
2013 के विधानसभा चुनाव में हरशरण सिंह बल्ली को बीजेपी को टिकट नहीं मिली थी। इससे नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस ज्वाॉइन कर लिया था और कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद फिर से वह वापस बीजेपी में शामिल हो गए। लेकिन 2020 में उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया था।
नेशनल
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को कैबिनेट की मंजूरी, जल्द हो सकता है संसद में पेश
नई दिल्ली। ‘एक देश-एक चुनाव’ की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इस विधेयक को जल्द संसद के पटल पर भी रखा जा सकता है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमिटी ने एक देश एक चुनाव से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसके बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विस्तार से जानकारी दी थी।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमिटी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले कदम में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव को एक साथ कराना चाहिए। कमेटी ने सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव हो जाने चाहिए।
एक देश एक चुनाव का मकसद
एक देश एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसके तहत भारत में लोकसभा और राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की बात की गई है। यह बीजेपी के मेनिफेस्टो के कुछ जरूरी लक्ष्यों में भी शामिल है। चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखने का यह कारण है कि इससे चुनावों में होने वाले खर्च में कमी हो सकती है।
दरअसल, देश में 1951 से लेकर 1967 के बीच एक साथ ही चुनाव होते थे और लोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए एक समय पर ही वोटिंग करते थे। बाद में, देश के कुछ पुराने प्रदेशों का वापस गठन होने के साथ-साथ बहुत से नए राज्यों की स्थापना भी हुई। इसके चलते 1968-69 में इस सिस्टम को रोक दिया गया था. बीते कुछ सालों से इसे वापस शुरू करने पर विचार हो रहा है।
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