उत्तर प्रदेश
प्रयागराज महाकुम्भ में बिखरी सनातन की छटा, महाकुम्भ क्षेत्र में दो और संन्यासी अखाड़ों की धर्म ध्वजा हुई स्थापित
महाकुम्भ नगर। प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ 2025 में आस्था और अध्यात्म के विविध रंग निखरने लगे हैं। सनातन धर्म के शिखर संन्यासियों के दो अखाड़ों ने एक ही दिन में महाकुम्भ क्षेत्र में अपने अपने अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित की। अखाड़ा क्षेत्र में अखाड़ों के संतो की मौजूदगी से दिव्य और भव्य कुम्भ की अनुभूति जीवंत हो गई।
दो और संन्यासी अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापित
प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर आस्था की अलौकिक दुनिया आकार लेने लगी है। सीएम योगी के निर्देश पर महाकुम्भ की तैयारियों में आई तेजी से महाकुम्भ का आकर्षण अखाड़ा क्षेत्र सबसे पहले गुलज़ार होने लगा है। सोमवार को अखाड़ा क्षेत्र में दो और संन्यासी अखाड़ों ने प्रशासन द्वारा आवंटित भूमि में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित कर दी । पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और उसके भ्राता अखाड़े कहे जाने वाले श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती ने पूरे विधि विधान के साथ अपने अपने अखाड़ों के इष्ट का आवाहन कर अपनी धर्म ध्वजा महाकुम्भ क्षेत्र में फहरा दी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के संत रविंद्र पुरी का कहना है कि हमारे अखाड़े की परम्परा है कि धर्म ध्वजा स्थापना में अखाड़े का कोई भी श्री महंत या बड़ा पदाधिकारी हिस्सा नहीं लेता। इसलिए नागा संन्यासियों की अगुवाई में अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित हुई। अब 4 जनवरी को निरंजनी अखाड़े का छावनी प्रवेश होगा ।
श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती ने भी स्थापित की धर्मध्वजा
परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन के मूलमंत्र को लेकर चलने वाले श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती की धर्मध्वजा की भी स्थापना हुई। अखाड़े के अध्यक्ष स्वामी शंकरानन्द सरस्वती ने बताया कि 41 फीट के ध्वज दंड में अखाड़े के प्रमुख संतों की मौजूदगी में पूरे विधि विधान के साथ अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित कर दी गई। इसी धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के इष्ट देवता को छावनी प्रवेश के बाद स्थान दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश
अपने इष्ट गणपति और नागा संन्यासियों को लेकर महाकुम्भ क्षेत्र पहुंचा श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़ा
महाकुंभ नगर। प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के केंद्र सनातन धर्म के 13 अखाड़ो का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। इसी क्रम में बुधवार को श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया। छावनी प्रवेश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
इष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में हुआ प्रवेश
आदि गुरु शंकराचार्य के प्रयास से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आये अखाड़ो की स्थापना शस्त्र और शास्त्र दोनों को आगे बढाने के लिए की गई। शास्त्र ने अगर शंकर के धार्मिक चिंतन को जन जन तक पहुचाया तो वही शस्त्र ने दूसरे धर्मो से हो रहे हमलो से इसकी रक्षा की। इन्ही अखाड़ो में शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पञ्च दशनाम अटल अखाड़ा ने कुम्भ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। अलोपी बाग स्थिति अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से यह प्रवेश यात्रा निकाली गई। प्रवेश यात्रा में परम्परा, उत्साह और अनुशासन का खूबसूरत मेल देखने को मिला। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।
नागा संन्यासियों की फौज बनी आकर्षण और आस्था का केंद्र
स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालो के बाद कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में दो दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनो तरफ दिखे।
“सूर्य प्रकाश” भाला रहा आकर्षण का केंद्र
अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे धजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था “सूर्य प्रकाश” नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है।
जगह जगह अखाड़े के संतों का प्रशासन ने किया स्वागत
पांच किमी का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महा कुम्भ प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।
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