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उत्तर प्रदेश

अब्दुल्ला आजम को झटका, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले की याचिका खारिज  

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Abdullah Azam

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नई दिल्ली। सपा के दिग्गज नेता आजम खान के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। उन्हें एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं। आजम खान अभी भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा के दंश से उबर भी नहीं पाए थे कि बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।

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शीर्ष न्यायालय ने मामले में 2019 के हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के चलते 2017 में अब्दुल्ला के विधायक के चुनाव को रद्द करने के आदेश दिए थे। उन्होंने उप्र के रामपुर जनपद स्वार सीट से चुनाव लड़ा था।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्न की बेंच ने अब्दुल्ला की याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था, जिसके चलते उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने पाया था कि 2017 में चुनाव लड़ने के दौरान सपा नेता के बेटे की उम्र 25 साल के कम थी।

उच्च न्यायलय ने कहा था कि 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला ने उम्र संबंधी फर्जी दस्तावेज पेश किए थे। इस चुनाव को बहुजन समाज पार्टी के नेता रहे नवाब काजम अली खान ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। नवाब बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

उन्होंने याचिका में आरोप लगाए थे कि शिक्षा से जुड़े प्रमाण पत्रों के अनुसार, अब्दुल्ला का जन्म 1 जनवरी 1993 में हुआ है। जबकि, जन्म प्रमाण पत्र के मुताबिक, वह 30 सितंबर 1990 को पैदा हुए।

उन्होंने दावा किया कि 2017 चुनाव में उन्हें मदद पहुंचाने के लिए सर्टिफिकेट जारी कराया गया था। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अब्दुल्ला को साल 2015 से पहले आधार कार्ड और पैन कार्ड नहीं मिले थे।

इधर, सपा नेता आजम खान भी दो जन्म प्रमाण पत्रों के चलते मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। आकाश सक्सेना नाम के शख्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि रामपुर नगर पालिका परिषद ने 28 जनवरी 2012 को एक सर्टिफिकेट जारी किया और लखनऊ नगर निगम की तरफ से 21 अप्रैल 2015 एक प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

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उत्तर प्रदेश

बीजेपी का आरोप, संभल हिंसा को लेकर विपक्षी दल राजनीति कर रहे हैं

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लखनऊ। संभल में बीते 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद जमकर राजनीति हो रही है। एक ओर विरोधी दल इस हिंसा के लिए योगी सरकार और बीजेपी को जिम्मेदार बता रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी सपा नेताओं को जिम्मेदार बता रही है। इस हिंसा में मारे गए पांच लोगों के अलावा पीड़ितों के परिवार से मुलाकात करने के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पूरी कोशिश कर रही है।

कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के संभल जाने को लेकर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “संभल हिंसा को लेकर विपक्षी दल जो राजनीति कर रहे हैं, वह उचित नहीं है। हमारी प्रतिबद्धता शांति स्थापित करने को लेकर है। न्यायालय में इसका मामला विचाराधीन है। जो भी निर्णय होगा, उसका हम अनुपालन करेंगे। रविवार को न्यायिक आयोग ने इलाके का जायजा लिया, अपनी रिपोर्ट में वो जो भी कहेंगे, हम उसकी निष्पक्ष कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।

सरकार किसी को भी कानून तोड़ने की इजाजत नहीं देगी।” विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के लोग सिर्फ वोटों की फसल काटने के लिए इस प्रकार की बात कर रहे हैं। हम हर स्थिति में पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं और किसी को भी कानून तोड़ने की इजाजत नहीं मिलने वाली है।” बता दें कि संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के नेता वहां पर जाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, प्रशासन ने जिले में बाहरी लोगों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।

नेताओं के संभल जाने की सूचना पर पुलिस ने टोल प्लाजा पर मुस्तैदी बढ़ा दी है। वहीं, एक दिन पहले हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की टीम रविवार को कोतवाली परिसर पहुंची थी। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में टीम ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर मौजूदा हालात का जायजा लिया। आयोग की टीम ने शाही जामा मस्जिद में पहुंचकर वहां की स्थिति का भी जायजा लिया।

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