ऑफ़बीट
सावधान! आधा कप जूस पीना हो सकता है आपके जानलेवा…
कम पोषक तत्वों और ज्यादा शुगर की वजह से पहले ही लोग पैकेटबंद जूस से दूरी बनाने लगे हैं। लेकिन कंस्यूमर कोर्ट की इस रिपोर्ट के बाद शायद ही आप अपने बच्चों को पैकेटबंद जूस न पिलाए।
आपको बता दें, बुधवार को कंस्यूमर कोर्ट ने पैकेटबंद जूस पर रिपोर्ट जारी की गयी है। परीक्षण के बाद पता चला है कि 45 जूस के ब्रांड मे कैडमियम, इनऑर्गैनिक आर्सेनिक, मर्करी और लेड अधिक मात्रा मे पाए गए है।
इनमें से आधे प्रोडक्ट्स में धातुओं की मात्रा चिंताजनक थी। जबकि 7 प्रोडक्ट्स के जूस में भारी धातुओं की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि अगर बच्चे दिन में आधा कप जूस भी पिएं तो उनकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।
कंज्यूमर रिपोर्ट्स के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर जेम्स डिकरसन ने बताया कि उन्होंने जिन खतरों की जांच की, वे सभी क्रोनिक एक्सपोजर की वजह से थे। चाहे आप वयस्क हो या बच्चे, बेहतर होगा कि आप पैक्ड जूस की मात्रा में कमी करें और उनकी जगह ताजे फलों का जूस पिए।
रिपोर्ट -मानसी शुक्ला
अन्तर्राष्ट्रीय
नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट
जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।
शुरू हुई कानूनी लड़ाई
यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
अदालत ने सुनाया फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।
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