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उत्तर प्रदेश

अलग हुए स्वाति और मंत्री दयाशंकर सिंह, 22 साल बाद टूटा सात जन्मों का बंधन

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Swati and Minister Dayashankar Singh separated

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लखनऊ। 90 के दशक में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति कर रहे दयाशंकर के लिए स्वाति सिंह कभी प्रचार किया करती थी, लेकिन पति-पत्नी का यह रिश्ता 22 सालों बाद बिखर गया। दयाशंकर सिंह द्वारा बसपा प्रमुख मायावती पर टिप्पणी करने के बाद स्वाति कभी दयाशंकर के लिए ढाल बनी तो कभी बेटी के लिए सियासत के मैदान में अपना परचम बुलंद किया।

2001 में हुई थी शादी

उत्तर प्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री स्वाति सिंह ने पति दयाशंकर सिंह से तलाक ले लिया है। पारिवारिक न्यायालय ने सुनवाई  करते हुए इस रिश्ते को खत्म करने की मंजूरी दे दी है। स्वाति ने दयाशंकर पर प्रताड़ित करने का आरोप भी लगाया था। दोनो की शादी मई 2001 में हुई थी।

बेटी के बचाव में रखा सियासत में कदम

साल 2017 की बात है जब स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह दूसरी बार विधान परिषद का चुनाव हार गए और बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ विवादित बयान दिया था। दयाशंकर सिंह के बयान पर बीजेपी ने तत्काल उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया। इसके साथ ही बसपा के हौसले बुलंद हो गए और उन्होंने लखनऊ में प्रदर्शन कर स्वाति सिंह और उनकी बेटी पर कई अभद्र टिप्पणी की।

स्वाति सिंह ने बेटी के बचाव में उतरते हुए बसपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कुछ ही समय में वह बीजेपी की फायर ब्रांड नेता बन गई। भाजपा की ओर से उन्हें प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी शामिल किया गया।

2017 मंत्रिमंडल में मिली जगह

2017 विधानसभा चुनाव के दौरान स्वाति सिंह को सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार बनाया गया। इस सीट पर भाजपा लगातार तीन दशकों से जीत के लिए तरस रही थी। मोदी लहर के आगे और स्वाति की फायर ब्रांड इमेज के कारण इस सीट पर भाजपा का परचम लहराया। जीत के साथ ही स्वाति को मंत्रिमंडल में जगह दी गई, साथ ही उनके पति का निलंबन भी वापस ले लिया गया।

2022 में खुलकर सामने आए विवाद

2022 विधानसभा चुनाव में स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन भाजपा आलाकमान ने इस सीट से राजेश्वर सिंह को अपना प्रत्याशी चुना और स्वाति का टिकट काट दिया। दयाशंकर को बलिया सीट से उम्मीदवार बनाया गया और सरकार में उन्हें स्वतंत्र प्रभार परिवहन मंत्री बनाया गया। इस विवाद के बाद दोनो के निजी विवाद के साथ-साथ राजनीतिक विवाद भी खुलकर सामने आए।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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