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बिजनेस

30 प्रतिशत अधिक हुआ टैक्स कलेक्शन, कर संग्रह में लगातार हो रहा इजाफा

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नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Tax – CBDT) ने बताया कि इस वित्त वर्ष की शुरुआत से अब तक देश में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड लौटने से पहले) बढ़कर 8,36,225 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2021-22 में समान अवधि में 6,42,287 करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ था। एकत्रित हुए देश के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में कॉरपोरेट टैक्स की हिस्सेदारी 4,36,020 करोड़ और पर्सनल इनकम टैक्स की हिस्सेदारी 3,98,440 करोड़ रुपये है।

अर्थव्यवस्था में हो रही बढ़त

देश में लगातार बढ़ रहा प्रत्यक्ष कर संग्रह इस बात को दिखा रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के बाद तेजी से उभर रही है। साथ ही कर व्यवस्था को आसान बनाने के कारण देश में कर संग्रह में लगातार इजाफा हो रहा है।

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह

पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि देश का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह (Net Direct Tax Collection) 7,00,669 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना की 23 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान समान अवधि में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 5,68,147 करोड़ रुपये था। शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 3,68,484 करोड़ रुपये कॉर्पोरेट टैक्स से आए हैं जबकि बाकी के 3,30,490 करोड़ रुपये पर्सनल इनकम टैक्स के जरिए आए हैं।

CBDT का बयान

सीबीडीटी ने अपने बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में 17 सितंबर, 2022 तक कुल अग्रिम कर संग्रह पहली और दूसरी तिमाही में बढ़कर 2,95,308 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 2,52,077 रुपये था।

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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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