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उत्तर प्रदेश

मेरठ में जूनियर इंजीनियर की बेटी का अपहरण करने वाले बदमाश एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार, दो के पैर में लगी गोली

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मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक जूनियर इंजीनियर की बेटी का अपहरण करने वाले 3 आरोपियों को एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। एनकाउंटर में दो आरोपियों के पैर में गोली लगी, जिन्हे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने बताया कि परिवार के पूर्व ड्राइवर ने ही लड़की के अपहरण की साजिश रची थी। बता दें कि सोमवार दोपहर को मेरठ में 7 साल की एक बच्ची को उसके ही घर के दरवाजे से अपहरण कर लिया था। पुलिस के तत्काल एक्शन में आने के बाद बदमाश घटना के दो घंटे में ही बच्ची को सड़क पर छोड़कर फरार हो गया।

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से पता लगाया कि अपहृत मायषा के पिता जेई महबूब हक के पूर्व ड्राइवर आकाश ने इस घटना को अंजाम दिया है. एसएसपी डा. विपिन ताडा ने बताया कि प्रवेश विहार टी प्वाइंट निवासी आकाश पिछले काफी दिनों से जेई महबूब के घर पर कार चालक था। एक साल पहले आकाश ने घर से 50 हजार की रकम चोरी कर ली थी। तब उसे नौकरी से निकाल दिया था। महबूब की कार का चालक रहते हुए आकाश की दोस्ती जल निगम की गाडी के चालक राजू निवासी जागृति विहार सेक्टर दस से हो गई थी। आकाश और राजू ने मिलकर जेई महबूब से करोड़ों की रकम वसूलने की प्लानिंग की। उस प्लानिंग में आकाश ने अपने साले अजय निवासी परतापुर को भी शामिल कर लिया।

सोमवार को महबूब की कार राजू ही चल रहा था। राजू ने मुखबिरी कर आकाश को पूरी जानकारी दी। तब आकाश अपने साले अजय को लेकर महबूब के घर के बाहर खड़ा हो गया। वहां से बच्ची को अगवा कर ले गए। राजू उन्हें पुलिस कार्रवाई के बारे में जानकारी दे रहा था। पुलिस की कार्रवाई तेज होने से राजू ने बच्ची को छोड़ने की बात कही। तब दोनों आरोपित कार से बच्ची को घर के बाहर छोड़कर फरार हो गए। उसके बाद राजू भी ड्यूटी से घर आ गया। तब तीनों पुलिस के डर से नौचंदी ग्राउंड में छिप गए।

एसपी सिटी आयुष विक्रम ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर बदमाशों की घेराबंदी की गई। उन्होंने पुलिस पर फायर झोंक दिया। जवाबी फायरिंग में आकाश और राजू के पैर में गोली लग गई, जबकि अजय को कांबिंग के दौरान गिरफ्तार किया।

उत्तर प्रदेश

बीते 5 सालों से किन्नरों के हक के लिए संघर्ष कर रहीं हैं लखनऊ की सोशल वर्कर गरिमा सिंह

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लखनऊ। हमारे समाज का ताना–बाना मर्द और औरत से मिलकर बना है, लेकिन एक तीसरा जेंडर भी हमारे समाज का हिस्सा है, इसकी पहचान कुछ ऐसी है जिसे सभ्य समाज में अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता, समाज के इस वर्ग को थर्डजेंडर, किन्नर या हिजड़े के नामसे जाना जाता है। पूरे समाज में इनके दिल की बात और आवाज़ कोई सुनना नहीं चाहता क्योंकि पूरे समाज के लिए इन्हें एक बदनुमा दाग़ समझा जाता है, लोगों के लिए ये सिर्फ़ हंसी के पात्र हैं।

लेकिन, हाल ही में इनकी ज़िंदगी में झांकने की कोशिश की है लखनऊ की सोशल वर्कर गरिमा सिंह ने इनकी ज़िंदगी के जो रंग आज तक किसी ने नहीं देखे थे उन रंगों को समाज में गरिमा सिंह ने दिखाया है, गरिमा बीते 5 वर्षों से किन्नरों के हक के लिए संघर्ष कर रही है। किन्नरों के मान सम्मान के लिए वह प्रतिवर्ष नवरात्र के समापन अवसर पर किन्नर अर्धनारीश्वर भोज का आयोजन करती है। इस बार भी गरिमा सिंह ने नवरात्र समापन के मौके पर गोमती नगर एक्सटेंशन, होटल द लीफ में किन्नर भोज का आयोजन करके उन्हें भोजन कराकर सम्मानित किया। गरिमा ने किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनका सम्मान करके प्रदेश व देश में एक अच्छा संदेश दिया।

समाज में लिंग के आधार पर कार्य में भेदभाव: गरिमा सिंह

समाज हर तरह के लोगों से मिलकर बनता है, जिसमें अलग–अलग लोगों काभिन्न–भिन्न पेशा होता है। जिसका सम्मान करना सबका दायित्व बनता है। लेकिन समाज में लिंग के आधार पर कार्य में भेदभाव आमतौर पर देखने कोमिलता है। समाज में आज भी किन्नर समुदाय को सम्मान या दर्ज़ा नहीं दिया गया है , जो समाज में रहने वाले आम नागरिकों के पास मौजूद है। यह वही किन्नर समुदाय है जो लोगों की छोटी से बड़ी खुशियों में शामिल होता है। लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता है। समाज कहता है कि किन्नर द्वारा दिया गया आशीर्वाद बहुत शुभ होता है। इसके बावजूद भी समाज में उन्हें सम्मान ना मिलना, समाज में रहने वाले लोगों की दोहरी मानसिकता को साफ़ तौर पर दर्शाता है।

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