ऑफ़बीट
रोज़ ये 10 काम करने से धीरे-धीरे नपुंसक बन सकते हैं आप, हमारी न मानें तो डॉक्टर से सुनें
नई दिल्ली। पुरुषों में नपुंसकता के तमाम कारण हो सकते हैं और इसके कई लक्षण मिलते हैं, जैसे स्पर्म काउंट कम होना, गतिशीलता की कमी या असामान्य या मृत शुक्राणुओं का होना। कई शोध हुए जिनसे निष्कर्ष निकला कि 40 साल पहले की तुलना में आज के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता 60 फीसदी से भी कम रह गई है। इसकी मुख्य वजह तनाव, खराब जीवनशैली, खराब खानपान, धूम्रपान और प्रदूषण आदि है। कई बार कुछ आदतों के कारण अनजाने में आपका पापा बनने का सपना अधूरा रह जाता है।
दिल्ली के एक मशहूर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद रैना बताते हैं कि पैंट की जेब में मोबाइल रखना, लैपटॉप को पैरों पर रखकर काम करना, कार्बोनेटिड ड्रिंक्स पीना आदि आदतों से आपकी स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है। इन आदतों के चलते आपको नपुंसकता भी हो सकती है। इस तरह की आदतें पुरुषों में स्पर्म की मात्रा को कम कर सकती हैं। ये आदतें हैं:
- पैंट की जेब में मोबाइल रखना:
आजकल सभी पैंट में मोबाइल फोन रखते हैं। ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि फोन से निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन स्पर्म के प्रजनन को कम करते हैं। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि जो लोग मोबाइल को अपनी पैंट की जेब में रखते हैं, उनमें स्पर्म 9 प्रतिशत तक कम हो सकते हैं।
- लैपटॉप को पैरों पर रखना:
एक रिपोर्ट के अनुसार, अंडकोष शरीर के तापमान से लगभग दो डिग्री ठंडे रहने चाहिए। अगर आप अपनी गोद में लैपटॉप रखकर काम करते हैं तो लैपटॉप से निकलने वाली गर्म हवा से स्पर्म पर नकारात्मक असर पड़ता है।
- टाइट अंडरवियर और पैंट पहनना:
वीर्यकोष में हेल्दी स्पर्म तभी अच्छी तरह से बनते हैं, जब उस हिस्से का तापमान शरीर के तापमान से कम होगा। इसी वजह से वीर्यकोष शरीर से बाहर त्वचा की एक थैली में होता है। अधिकतर टाइट जींस और अंडरवियर पहनने की वजह से वह भाग शरीर के तापमान के बराबर गर्म हो जाता है। जिससे स्पर्म के बनने की प्रक्रिया रुक जाती है।
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पीना:
एक शोध में कहा गया है कि बीयर, शराब से भी स्पर्म की मात्रा कम होती है। इन सभी पेय पदार्थों में शुगर की मात्रा अधिक होती है, जो स्पर्म बनने की कार्यप्रणाली में रुकावट डालती हैं।
- चाय-कॉफी का सेवन:
अक्सर पुरुष ऑफिस में काम करने के दौरान छह-सात कप चाय या कॉफी पी जाते हैं। कैफीन का अधिक सेवन पुरुषों के प्रजनन शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। ऐसे में कोशिश करें कि एक या दो कप ही चाय या कॉफी पिएं।
- कीटनाशक फल-सब्जियां खाना:
आजकल ज्यादातर फल, सब्जियों, फसलों में कीटनाशकों का इस्तेमाल होने लगा है। ये शरीर में जाकर नपुंसकता, कैंसर आदि जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं।
- नींद में कमी:
यदि आप सात से आठ घंटे नहीं सोते, तो इसका असर स्पर्म के बनने की प्रक्रिया पर भी पड़ता है। जिस तरह शरीर और मस्तिष्क को आराम चाहिए, ठीक उसी तरह स्पर्म को भी रेस्ट की जरूरत होती है।
- नशीले पदार्थों का सेवन:
आजकल लड़के खूब पार्टी करते हैं और जमकर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। कोकीन या गांजा जैसे नशीले पदार्थों के सेवन के कारण भी पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गुणवत्ता कम हो जाती है।
- साइकिल चलाना:
रिसर्च के अनुसार पता चला है कि जिन पुरुषों को हफ्ते में तीन घंटे साइकिल चलाने की आदत है, उनके नपुंसक होने का चांस उन पुरुषों की तुलना में बढ़ जाता है, जो बिल्कुल भी या कम समय के लिए साइकिल चलाते हैं।
- सप्पलीमेंट का सेवन:
आमतौर पर देखा जाता है कि लोग इतना ज्यादा जंक फूड खाने लग गए हैं कि उन्हें सही प्रकार का पोषण नहीं मिल पाता। ऐसे शरीर में उस पोषण की कमी को पूरा करने के लिए, वे दवाई की दुकान से सप्पलीमेंट लेने लग जाते हैं, जिसका सीधा असर नपुंसकता पर पड़ता है।
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बेंगलुरु में ऑटो चालक ने लिखवाया अनोखा स्लोगन, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट से मचा बवाल
बेंगलुरु। आखिर ऑटो वाले ने अपनी गाड़ी के पीछे ऐसा क्या लिखवा दिया, जिस पर इतना हो हंगामा मच गया. दरअसल, ऑटो ड्राइवर ने महिलाओं के सम्मान में इंग्लिश में कुछ लाइनें लिखवाई थीं, ‘Slim or fat, black or white, virgin or not. All girls deserve respect.’ मतलब- मोटी हो या पतली, गोरी हो या काली, कुंआरी हो या न हो. सभी लड़कियों को सम्मान मिलना चाहिए. किसी राहगीर की नजर जब इस स्लोगन पर पड़ी, तो उसने फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी, जो अब इंटरनेट पर वायरल है.
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट
30 सितंबर को @kreepkroop एक्स हैंडल से यूजर ने तस्वीर शेयर कर लिखा, बेंगलुरु की सड़कों पर कुछ कट्टर नारीवादी. इस पोस्ट को अब तक 90 हजार बार देखा जा चुका है, जबकि लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. जहां कई यूजर्स ने ऑटो वाले के स्लोगन को विवादित करार दिया, तो वहीं कई लोगों का मानना है कि इसमें कट्टर नारीवाद जैसा कुछ भी नहीं है.
एक यूजर ने कमेंट किया, ऑटो वाले भैया अधिकांश पढ़े-लिखे लोगों की तुलना में कहीं अधिक सम्य हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि लोगों को इसमें कट्टर नारीवादी सोच कहां से दिख गई. वहीं, दूसरे यूजर का कहना है, यह कट्टर नारीवाद नहीं है. पर इस बात से जरूर सहमत हूं कि लिखने का अंदाज थोड़ा अटपटा है. वर्जिन या नॉट वर्जिन की जगह मैरिड या अनमैरिड भी लिखा जा सकता था. फिर भी, ड्राइवर कम से कम महिलाओं का सम्मान तो कर रहा है. एक अन्य यूजर ने लिखा, कुछ भी बकवास लिखा है. ये वर्जिन क्या होता है
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