Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

मौनी अमावस्‍या पर बन रहे हैं ये शुभ योग, गंगा स्‍नान का है खास महत्‍व; जानें पूरी डिटेल

Published

on

These auspicious yogas are being formed on Mauni Amavasya

Loading

नई दिल्ली। हिंदी महीने माघ की अमावस्‍या को मौनी अमावस्‍या या माघी अमावस्‍या कहते हैं। इस दिन गंगा स्‍नान करने और दान पुण्‍य करने का विशेष महत्‍व होता है। मौनी अमावस्‍या को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा में आस्‍था की डुबकी लगाने से जन्‍मों के पाप धुल जाते हैं।

मौनी अमावस्‍या के दिन मौन रहकर ईश्‍वर की भक्ति में मन लगाते हैंर्। इसलिए इसे मौनी अमावस्‍या कहते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन जप और तप करने वाले व्‍यक्ति को शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है।

मौनी अमावस्‍या कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्‍या तिथि का आरंभ 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर होगा और यह 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। इसलिए मौनी अमावस्‍या का स्‍नान और दान 9 फरवरी को होगा।

मौनी अमावस्‍या का महत्‍व

मौनी अमावस्‍या पर गंगा में स्‍नान करने का खास महत्‍व शास्‍त्रों में बताया गया है। इस दिन प्रयागराज में माघ मेले की सबसे बड़ा स्‍नान होता है। इस दिन मौन रहकर साधना करना सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है। इस दिन साधु संत लोग मौन व्रत करते हैं। इस दिन गंगा में स्‍नान करने से आपके सभी पाप धुल जाते हैं और आपको कई गुना पुण्‍य मिलता है। इस दिन मंदिरों और धार्मिक स्‍थलों में हवन पूजन के कार्यक्रम किए जाते हैं।

प्रयागराज को लेकर यह है खास मान्‍यता

मौनी अमावस्‍या के विषय में प्रयाग में संगम नदी के स्‍नान को लेकर ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन देवता ओर पितर अदृश्‍य रूप से आकर नदी में स्‍नान करते हैं और उनके स्‍नान से जल पवित्र हो जाता है। ऐसी नदी में स्‍नान करने से आपको पुण्‍य की प्राप्ति होती है और पापों का अंत होता है। इस दिन गंगा में स्‍नान करने से आपके कई त्‍वचा संबंधी रोग दूर हो जाते हैं।

मौनी अमावस्‍या पर बने हैं ये शुभ योग

मौनी अमावस्‍या के दिन सबसे शुभ माना जाने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 5 मिनट से लेकर रात को 11 बजकर 29 मिनट पर समाप्‍त होगा। इस शुभ योग में मौनी अमावस्‍या का व्रत करने से आपको धन की प्राप्ति होती है और आपके पूर्वज प्रसन्‍न होकर आपको जीवन में सफल और संपन्‍न होने का आशीर्वाद देते हैं।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्ण सत्य होने का हमारा दावा नहीं है। संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। 

Continue Reading

आध्यात्म

जानें भगवान गणेश की पूजा में क्यों नहीं किया जाता तुलसी का प्रयोग

Published

on

Loading

लखनऊ। गणेश चतुर्थी के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। घर-घर में गणेश जी के आगमन से लोगों में काफी उत्साह छाया हुआ है। प्रथम पूज्य गणेश जी के भोग, और प्रसाद के बारे में तो सभी जानते हैं। यही नहीं हम सबने गणेश जी से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी है। लेकिन आज हम आपको ऐसी गणेश जी से संबंधित ऐसी कथा बतायेंगे जिसके बारे में शायद ही आप जानते हो। जी हाँ आज हम आपको बताएँगे की गणेश पूजन के दौरान तुलसी का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता।

दरअसल, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार गणपति जी गंगा किनारे तपस्या कर रहे थे। उसी गंगा तट पर धर्मात्मज कन्या तुलसी भी अपने विवाह के लिए तीर्थयात्रा करती  हुईं, वहां पहुंची थी। गणेश जी रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे थे और चंदन के लेपन के साथ उनके शरीर पर अनेक रत्न जड़ित हार में उनकी छवि बेहद मनमोहक लग रही थी।

तपस्या में विलीन गणेश जी को देख तुलसी का मन उनकी ओर आकर्षित हो गया। उन्होंने गणपति जी को तपस्या से उठा कर उन्हें विवाह का प्रस्ताव दिया। तपस्या भंग होने से गणपति जी बेहद क्रोध में आ गए। गणेश जी ने तुलसी देवी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। गणेश जी से ना सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसी देवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे।

वहीं गणेश जी ने भी क्रोध में आकर तुलसी देवी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा। ये श्राप सुनते ही तुलसी जी को अपनी भूल का एहसास हुआ और वह गणेश जी से माफी मांगने लगीं। तब गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा, लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी। ना तुम्हारा शाप खाली जाएगा ना मेरा। मैं रिद्धि और सिद्धि का पति बनूंगा और तुम्हारा भी विवाह राक्षस से होगा। लेकिन अंत में तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिया बनोगी और कलयुग में भगवान विष्णु के साथ तुम्हें पौधेे के रूप में  पूजा जाएगा लेकिन मेरी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

Continue Reading

Trending