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आध्यात्म

गजलक्ष्मी राजयोग के निर्माण से इन तीन राशियों को होगा बेहद लाभ, यहां जानें डिटेल  

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Gajlaxmi Rajyog 2023

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नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह गोचर या ग्रहों की चाल बदलने से विभिन्न प्रकार के योग एवं राजयोग का निर्माण होता है। इसी क्रम में 08 अगस्त को शुक्र ग्रह के कर्क राशि में वक्री होने से गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण हुआ है।

गजलक्ष्मी राजयोग से जातक को धन, सफलता, प्रसिद्धि, भाग्य का साथ व देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दौरान तीन राशियां ऐसी हैं, जिन्हें गजलक्ष्मी राजयोग से सर्वाधिक लाभ प्राप्त होगा और उनके जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का आगमन होगा।

आइए जानते हैं, किन-किन राशियों को मिलेगा गजलक्ष्मी राजयोग से लाभ?

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को गजलक्ष्मी राजयोग से बहुत लाभ प्राप्त हो सकता है। इस दौरान उनके आर्थिक स्थिति में वृद्धि होगी। साथ ही वह कमाया हुआ धन बचा सकते हैं। इसके साथ जो लोग मार्केटिंग, शिक्षा, मीडिया या संचार क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, उन्हें इस दौरान लाभ प्राप्त हो सकता है।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए गजलक्ष्मी राजयोग लाभदायक साबित होगा। इस अवधि में जातकों को निवेश किए गए धन से लाभ प्राप्त होगा। साथ ही रुका हुआ धन भी वापस मिल सकता है।

इसके साथ आय के नए स्रोत बनेंगे और कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त हो सकती है। इससे पारिवारिक वातावरण भी सुखद रहेगा। इसके साथ जो लोग शेयर मार्केट से जुड़े हुए हैं, उनके लिए भी यह समय अच्छा रहने वाला है।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए गजलक्ष्मी राजयोग फलदाई माना जा रहा है। इस दौरान व्यापार क्षेत्र में वृद्धि के योग बनेंगे और जो लोग अपने व्यापार को बढ़ाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें भी सफलता प्राप्त होगी। इसके साथ कार्य क्षेत्र में सहकारियों के साथ संबंध और अच्छे होंगे। पदोन्नति के भी योग बन रहे हैं, जिससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होगी।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की हमारी गारंटी नहीं है। अपनाने से  पूर्व सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।  

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आध्यात्म

जानें भगवान गणेश की पूजा में क्यों नहीं किया जाता तुलसी का प्रयोग

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लखनऊ। गणेश चतुर्थी के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। घर-घर में गणेश जी के आगमन से लोगों में काफी उत्साह छाया हुआ है। प्रथम पूज्य गणेश जी के भोग, और प्रसाद के बारे में तो सभी जानते हैं। यही नहीं हम सबने गणेश जी से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी है। लेकिन आज हम आपको ऐसी गणेश जी से संबंधित ऐसी कथा बतायेंगे जिसके बारे में शायद ही आप जानते हो। जी हाँ आज हम आपको बताएँगे की गणेश पूजन के दौरान तुलसी का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता।

दरअसल, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार गणपति जी गंगा किनारे तपस्या कर रहे थे। उसी गंगा तट पर धर्मात्मज कन्या तुलसी भी अपने विवाह के लिए तीर्थयात्रा करती  हुईं, वहां पहुंची थी। गणेश जी रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे थे और चंदन के लेपन के साथ उनके शरीर पर अनेक रत्न जड़ित हार में उनकी छवि बेहद मनमोहक लग रही थी।

तपस्या में विलीन गणेश जी को देख तुलसी का मन उनकी ओर आकर्षित हो गया। उन्होंने गणपति जी को तपस्या से उठा कर उन्हें विवाह का प्रस्ताव दिया। तपस्या भंग होने से गणपति जी बेहद क्रोध में आ गए। गणेश जी ने तुलसी देवी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। गणेश जी से ना सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसी देवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे।

वहीं गणेश जी ने भी क्रोध में आकर तुलसी देवी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा। ये श्राप सुनते ही तुलसी जी को अपनी भूल का एहसास हुआ और वह गणेश जी से माफी मांगने लगीं। तब गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा, लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी। ना तुम्हारा शाप खाली जाएगा ना मेरा। मैं रिद्धि और सिद्धि का पति बनूंगा और तुम्हारा भी विवाह राक्षस से होगा। लेकिन अंत में तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिया बनोगी और कलयुग में भगवान विष्णु के साथ तुम्हें पौधेे के रूप में  पूजा जाएगा लेकिन मेरी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

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