Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

गुजरात

बिलकिस बानो केस के तीन दोषियों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, सरेंडर के लिए मांगा वक्त

Published

on

Supreme Court dismisses the applications filed by convicts in Bilkis Bano case

Loading

नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों में से तीन ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोषियों के वकील द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए उनकी याचिका का उल्लेख करने के बाद सुप्रीम कोर्ट याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को फैसला देते हुए बिलकिस बानो दुष्कर्म और उसके परिजनों की हत्या के मामले में समय से पहले बरी किए गए 11 दोषियों को दी गई रिहाई को रद्द करते हुए उन्हें दो हफ्ते में जेल में आत्मसमर्पण करने के लिए आदेश जारी किया था।

इससे पूर्व 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और 14 लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के अगस्त 2022 में लिए गए गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ऐसा आदेश लेने के लिए राज्य सरकार बिल्कुल भी ‘सक्षम नहीं’ थी और फैसले को बिना दिमाग लगाए पारित कर दिए गए।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए पीठ ने कहा था कि गुजरात सरकार छूट का आदेश पारित करने के लिए उपयुक्त सरकार नहीं है।

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। दोषियों पर महाराष्ट्र द्वारा मुकदमा चलाया गया। दरअसल, मुंबई में CBI की एक विशेष अदालत ने इस मामले में 2008 में 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कानून के शासन का उल्लंघन हुआ है क्योंकि गुजरात सरकार ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। पीठ ने 100 पन्नों से अधिक का फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य के छूट के आदेश रद्द किए जाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने एक अन्य पीठ के 13 मई, 2022 के आदेश को भी ‘अमान्य’ करार दिया, जिसमें गुजरात सरकार से दोषियों की सजा माफी की याचिका पर विचार करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को अदालत के साथ धोखाधड़ी करार दिया और कहा कि इस अदालत के सामने फैक्ट छिपाए गए। 13 मई का आदेश सही नहीं था और इसे हम अमान्य मानते हैं। बता दें कि गुजरात में वर्ष 2002 में दंगे के दौरान बिलकिस के साथ नृशंस सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। यहीं नहीं, बिलकिस के आंखों के सामने उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी।

गुजरात

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मुलाकात

Published

on

Loading

नई दिल्ली । गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के समग्र विकास पर उनका मार्गदर्शन लेने के लिए नई दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की, एक विज्ञप्ति में कहा गया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय भारतीय समुद्री विरासत सम्मेलन-2024के उद्घाटन सत्र में भाग लेने के लिए नई दिल्ली में थे । विज्ञप्ति में कहा गया है कि अपनी यात्रा के दौरान सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की।

सीएम पटेल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से राज्य के प्राचीन बंदरगाह लोथल में बनने वाला सबसे बड़ा राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय और लाइटहाउस संग्रहालय और ओपन एक्वेटिक गैलरी आदि समुद्री क्षेत्र में ‘विकास भी, विरासत भी’ की दिशा दिखाएंगे।” मुख्यमंत्री ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि समुद्री क्षेत्र 2047 में विकसित भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और कहा कि विकसित भारत के दृष्टिकोण में नेतृत्व के नाम पर, गुजरात ने 2047 तक 2000

Continue Reading

Trending