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आध्यात्म

आज देश में रौशनी के त्यौहार दिवाली की धूम, जानिए पूजा का समय

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अंधेरे से कह दो कही और घर बसा ले, मेरे देश में आज रौशनी का सैलाब आया है। पुरे देश में महापर्व दिवाली की धूम हैं। बाजार गुलज़ार है और देश की हर गली में रौशनी का सैलाब आया है।इस बार अयोध्या के दीपोत्सव में 13 लाख दिए जलाए गए।

बता दें कि दीपावली का त्यौहार देश का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। आज के दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है ,साथ ही कुबेर, माँ सरस्वती की भी अर्चना होती है। दिवाली का त्यौहार भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास को पूरा कर के घर लौटने पर मानना शुरू हुआ था।

अयोध्या में जनता ने दीपों से पुरे शहर को रोशन कर अपने भगवान का स्वागत किया था। ये त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और इस बार पूजा का शुभ मुहरत शाम 06:09 बजे से शुरू हो रहा है और इसकी समाप्ति रात 08:04 बजे होगी।

आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

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नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

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