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उत्तराखंड

उत्तराखंड: बरामद हुआ अंकिता भंडारी का शव, आरोपी के रिजॉर्ट पर चला बुलडोज़र

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देहरादून। उत्तराखंड के अंकिता भंडारी हत्याकांड से पूरा राज्य गुस्से में है। रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने वाली अंकिता की नहर में धक्का देकर इसलिए हत्या कर दी गई, क्योंकि उसने गेस्ट के साथ हमबिस्तर होने से इनकार कर दिया था। वारदात को रिजॉर्ट के मालिक ने दो कर्मचारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया था। रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य हरिद्वार के भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है।

आज सुबह अंकिता का शव चीला नहर से बरामद कर लिया गया है। परिजनों ने शव की पहचान की। इससे पहले देर रात रिसॉर्ट को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दु:ख जाहिर करते हुए एसआईटी जांच का आदेश दिया है। घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस की गाड़ी को रोककर आरोपियों की जमकर पिटाई कर दी तो थाने पर भी धावा बोल दिया।

घटना का खुलासा करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक पौड़ी शेखर सुयाल ने बताया कि गंगाभोगपुर स्थित वनंतरा रिजॉर्ट में काम करने वाली श्रीकोट, पौड़ी निवासी अंकिता भंडारी (19) पुत्री वीरेंद्र सिंह भंडारी 18 सितंबर से लापता थी। 19 सितंबर को रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य ने राजस्व पुलिस में अंकिता की गुमशुदगी दर्ज कराई।

डीएम पौड़ी ने बीती 22 सितंबर को मामला लक्ष्मणझूला पुलिस को ट्रांसफर किया। सुयाल ने बताया कि आरोपी अंकिता पर रिजार्ट में रुकने वालों से संबंध बनाने का दबाव डालते थे। अंकिता के इनकार पर विवाद हुआ। 18 सितंबर की रात आरोपियों ने शराब पीने के बाद अंकिता को मार डाला।

एएसपी पौड़ी शेखरचंद्र सुयाल ने बताया कि होटल मालिक अंकिता भंडारी को गेस्ट के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाते थे। मना करने पर अंकिता की होटल मालिक और अन्य आरोपियों के साथ बहस होती थी। इसी प्रकार की वारदात 18 सितंबर की शाम को भी हुई।

गुस्से में रही अंकिता को मनाने के लिए होटल मालिक पुलकित आर्य, सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता और प्रबंधक सौरभ भास्कर तीनों दोपहिया वाहनों से ऋषिकेश लेकर आए। वापसी में चीला शक्ति नहर के किनारे बैठकर तीनों ने मिलकर शराब पी। गुस्से में अंकिता भंडारी को नहर में धक्का दे दिया।

अंकिता ने दी थी भेद खोलने की धमकी

पुलिस के मुताबिक 18 सितंबर की रात्रि को रिजॉर्ट में पुलकित और अंकिता के बीच विवाद हो गया था। इस पर पुलकित, अंकित और सौरभ अंकिता को मनाने के लिये दो दोपहिया वाहनों से ऋषिकेश लेकर आने लगे। बैराज चौकी से करीब सवा किलोमीटर पहले तीनों चीला नहर के किनारे बैठकर शराब पीने लगे।

इस बीच अंकिता और पुलकित में फिर विवाद होने लगा। अंकिता ने रिजॉर्ट का भेद खोलने की धमकी दी। अंकिता ने पुलकित का मोबाइल नहर में फेंक दिया। दोनों के बीच हाथापाई होने लगी। इस पर तीनों ने अंकिता को नहर में धक्का दे दिया।

पुलिस से बचने के लिए तीनों ने बनाई योजना

पुलिस से बचने के लिए तीनों ने मिलकर एक योजना बनाई। योजना के तहत तीनों लोग रिसोर्ट पहुंचे और अंकिता के कमरे में होने की जानकारी रिजॉर्ट स्टाफ को देते हुए कुक से 4 लोगों के लिए खाना बनाने के लिए कहा। खाना खुद पुलकित अंकिता के कमरे में ले गया। जिससे कि अंकिता के गायब होने का शक किसी पर न जाए। सुबह अंकिता के गायब होने की जानकारी तीनों ने मिलकर योजना के तहत सार्वजनिक की।

मामले में राजस्व पुलिस को भी अंकिता की गुमशुदगी दर्ज करवा दी। पूछताछ में बहस की वजह पता चली कि पुलकित आर्य अपनी रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी को रिजॉर्ट में आने वाले मेहमानों के साथ हमबिस्तर होने का दबाव बनाता था।

बेकाबू भीड़ ने आरोपियों को कपड़े फाड़कर पीटा

रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की रिजॉर्ट के मालिक और कर्मचारियों द्वारा नहर में धक्का देकर हत्या से गढ़वाल में चारों तरफ गुस्सा है। लोगों ने शुक्रवार को ऋषिकेश थाना घेर लिया। लोगों ने हत्यारों को फांसी पर लटकाने की मांग उठाई। साथ ही पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

इसके बाद जब पुलिस आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के लिए ले जाने लगी तो आक्रोशित महिलाएं पुलिस के वाहन के आगे खड़ी हो गईं। लोगों ने पुलिस के वाहन में तोड़फोड़ कर आरोपियों की पिटाई कर दी। पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। इसके आद आरोपियों को कोर्ट ले जाया गया।

अंकिता बाइस दिन ही कर पाई रिजॉर्ट में नौकरी

अंकिता 22 दिन ही नौकरी कर पाई। दरिंदो ने पहली सैलरी मिलने से पहले ही अंकिता को मार डाला। अंकिता की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए वह दूसरी नौकरी भी तलाश रही थी। लेकिन दरिंदो ने पहले ही उसे मार डाला। पूर्व दर्जाधारी के रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली अंकिता भंडारी 11 सितंबर को ही नौकरी छोड़ना चाहती थी, क्योंकि वह 14 दिन में ही काम करने परेशान हो गई थी। 10 सितंबर को अंकिता ने अपने कई परिचितों से नौकरी लगाने की गुहार लगाई थी। अंकिता हरिद्वार और ऋषिकेश में ही काम करना चाहती थी।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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