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उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के 40 हजार कर्मचारियों को दी सौगात, महंगाई भत्ते और बोनस में बढ़ोत्तरी

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के 40 हजार कर्मचारियों को प्रदेश सरकार ने बोनस व डीए की सौगात दी है। महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई। अब कर्मचारियों को प्रति माह 53 प्रतिशत डीए का लाभ मिलेगा। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी किए।

सचिव औद्योगिक विकास विनय शंकर पांडेय ने बोनस और महंगाई भत्ते स्वीकृत करने के आदेश जारी किए। प्रदेश में निगम, बोर्ड और स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों को भी सरकार ने राजकीय कर्मचारियों की तर्ज पर एक जुलाई 2024 से महंगाई भत्ते का लाभ दिया है। मूल वेतन में मान्य महंगाई भत्ते की दर को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 53 प्रतिशत किया गया। इसके अलावा कर्मचारियों वित्तीय वर्ष 2023-24 में बोनस का लाभ मिलेगा।

राज्य निगम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रकाश राणाकोटी, प्रदेश महामंत्री नंद लाल जोशी ने बोनस व महंगाई भत्ते का शासनादेश जारी करने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया। कहा, इस आदेश से सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों को भी राजकीय कर्मचारियों की तरह डीए का लाभ मिलेगा।

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उत्तराखंड

सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यूसीसी नियमावली को मिली मंजूरी

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देहरादून। सोमवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) नियमावली को मंजूरी दे दी गई।.यूसीसी की नियमावली पर मुहर लगने के बाद 26 जनवरी को इसे उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है।

कैबिनेट बैठक के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा- यूसीसी को लेकर पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। इसे समीक्षा के बाद लागू किया जाएगा. पहाड़ से पूरे देश में संदेश जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में यूसीसी लागू किए जाने पर कहा कि इस संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार देना है इसके अलावा यह नियम सभी के साथ न्याय करने का काम करेंगे।

भाजपा सरकार ने इस वर्ष 6 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया था और एक दिन बाद 7 फरवरी को इसे पूर्ण बहुमत से पारित कर दिया गया था। उत्तराखंड विधानसभा के बाद फरवरी में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 मार्च को इस पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

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