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उत्तर प्रदेश

अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेलने में अभियोजन का सारथी बना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ई-रिपोर्टंग सिस्टम ऐप

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लखनऊ |  योगी सरकार प्रदेश में ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ के तहत अपराध और अपराधियों की लगातार कमर तोड़ रही है। इसी के तहत यूपी पुलिस का अभियोजन निदेशालय न्यायालय में प्रभावी पैरवी के जरिये अपराधियों को सजा दिला रहा है। अब तक 80 हजार से अधिक अपराधियों को प्रभावी पैरवी के जरिये सजा दिलाई जा चुकी है। इसमें आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की अहम भूमिका है। अभियोजन विभाग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-रिपोर्टिंग सिस्टम, चिन्हित माफिया प्रबंधन प्रणाली मॉनीटरिंग, ई-ऑफिस प्रणाली और ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल आदि का इस्तेमाल कर अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने में बड़ी सफलता प्राप्त की है।

4 माह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 4,450 गवाहों की दर्ज कराई गवाही

अभियोजन विभाग भारतीय नागरिक संहिता-2023 के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं अन्य सरकारी कर्मचारियों के बयान उनके निवास-नियुक्ति स्थान पर ही दर्ज करा रहा है। इससे जहां एक ओर प्रशासनिक एवं पुलिस व्यवस्था सुव्यवस्थित हुई है, वहीं दूसरी ओर राजकीय धन और समय की बचत हो रही है। विभाग द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 17 अक्टूबर तक 4,450 पुलिस और अन्य सरकारी गवाहों की गवाही करायी जा चुकी है। इसके जरिये मात्र 4 माह में 5 जिलों के प्रयास से 15 लाख रुपये की बचत की गयी है। वहीं, वार्षिक बचत 7 करोड़ होने की बात सामने आयी है। इतना ही नहीं, इससे अपराधियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया और तेज़ हुई है और गवाहों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है।

ई-रिपोर्टिंग सिस्टम ऐप से अपराधियों के खिलाफ एकत्र किये जा रहे मजबूत साक्ष्य

अभियोजन विभाग ने डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर ई-रिपोर्टिंग सिस्टम के जरिये अपराधियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्य एकत्र किये। हर केस का डाटा प्रोफाइल बनाकर उसे कंप्यूटर सिस्टम में रिकॉर्ड किया जा रहा है। इससे केस में किसी भी तरह की गड़बड़ी या अस्पष्टता को दूर किया जा रहा है। इतना ही नहीं ऐप के जरिये अभियोजन संबंधी कार्यों की समीक्षा भी आसान हुई है। इसे सीएम डैशैबोर्ड (दर्पण 2.0) से कनेक्ट किया गया है। इसके जरिये विभिन्न मामलों में उच्च स्तरीय समीक्षा आसान हो सकी है।

वादों की प्रगति की गहन मॉनिटरिंग में चिन्हित माफिया प्रबंधन ऐप का अहम रोल

निदेशालय स्तर पर चिन्हित माफिया प्रबंधन प्रणाली मॉनीटरिंग ऐप के जरिये चिन्हित माफिया से संबंधित वादों की दिन प्रतिदिन की प्रगति और कार्यवाही का गहन पर्यवेक्षण किया जा रहा है। निदेशालय ने ई-आफिस प्रणाली के जरिये पेपरलेस और समयबद्ध कार्यवाही को शत-प्रतिशत अपनाया है। इसके साथ ही प्रथम चरण में ई-आफिस प्रणाली को 18 परिक्षेत्रीय अपर निदेशक अभियोजन कार्यालय एवं 18 संयुक्त निदेशक अभियोजन कार्यालयों को अगामी 3 माह में जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया है।

ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर डाटा फीडिंग में यूपी तीन साल से देश में अव्वल

निदेशालय ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल के जरिये लगातार न्यायिक कार्यवाहियों से संबंधित डाटा फीड कर रहा है। अब तक ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर सितंबर-24 तक 75 लाख से अधिक न्यायिक कार्यवाहियों से संबंधित डाटा फीड किया जा चुका है। वहीं ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल की फीडिंग में उत्तर प्रदेश पूरे देश में लगातार पिछले 3 वर्षों 2021, 2022 व 2023 से प्रथम स्थान प्राप्त कर रहा है। अपराधियों को प्रभावी पैरवी के जरिये सजा दिलाने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें उन्हें नए तकनीकी उपकरणों और सॉफ़्टवेयर के उपयोग के बारे में बताया जा रहा है। इससे अभियोजन अधिकारियों की क्षमता में वृद्धि हो रही है और वे अपनी जिम्मेदारियों को अधिक सटीक व प्रभावी तरीके से निभा रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश

राजस्व वृद्धि पर दें ध्यान, नदी के कैचमेंट एरिया में अवैध खनन बर्दाश्त नहींः मुख्यमंत्री

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लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यों की समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2407.20 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति हुई है। इसमें और वृद्धि की अपेक्षा है। इसकी बेहतरी के लिए विभागीय व जनपद स्तर के अधिकारी तेजी से प्रयास करें। राजस्व प्राप्ति के लिए जिलाधिकारी व जिला खनन अधिकारी की जवाबदेही तय की जाए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सोनभद्र, बांदा, कौशांबी तथा महोबा में खनन के दृष्टिगत राजस्व वृद्धि की असीम संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री जी ने कम राजस्व प्राप्त करने वाले जनपदों की समीक्षा करते हुए इनमें भी राजस्व बढ़ोतरी के उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शासन, विभाग व जनपद स्तर पर लंबित आवेदन पत्रों पर शीघ्रता से निर्णय लेकर कार्रवाई बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि राजस्व बढ़ाने के अन्य उपायों पर भी विचार करें।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि नदी के कैचमेंट एरिया में किसी भी प्रकार के अवैध खनन की गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तकनीक का उपयोग करते हुए इसे सख्ती से रोका जाए।

मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया कि स्वीकृत खनन क्षेत्र के अंदर खनन कर रहे वाहनों पर व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) लगाया जाए, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि खनन स्वीकृत क्षेत्र में ही हो रहा है या नहीं। इससे परिवहनकर्ता को भी सहूलियत होगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अन्य राज्यों से प्रदेश में उपखनिज का परिवहन करने वाले वाहनों की वैधता की जांच के लिए उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान व मध्य प्रदेश से एपीआई इंटीग्रेशन किए गए हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनपदों में टास्क फोर्स अवैध खनन को रोकने के लिए समय-समय पर छापेमारी करते रहें। छापेमारी के दौरान विभागीय अधिकारी, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी सुनिश्चित हो। इसकी वीडियोग्राफी भी नियमित कराई जाए।

मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया कि विभाग के विभिन्न स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया कि विभागीय स्तर पर पेंडिंग मामलों का समय से निस्तारण किया जाए।

मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया कि जून से अगस्त के मध्य ही वर्ष भर की कार्ययोजना तैयार की जाए। समय से कार्ययोजना तैयार करने से सरलतापूर्वक कार्य संपन्न होंगे।

मुख्यमंत्री जी ने बैठक में उपस्थित परिवहन विभाग के अफसरों को निर्देश दिया कि मार्ग दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तेजी से प्रयास करें। सड़कों के किनारे ओवरलोड वाहन कतई न खड़े किए जाएं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कर अपवंचन तथा ओवरलोडिंग रोकने के लिए जनपदों में 55 चेक गेट्स स्थापित किए गए हैं। इन पर शीघ्र ही वे इन मोशन संयंत्र लगाए जाएं। ओवरलोडिंग हर हाल में जीरो पॉइंट पर ही रोका जाए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार के खनन मंत्रालय द्वारा स्टेट माइनिंग रेडिनेंश इंडेक्स तैयार किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में विभिन्न विभागों के समन्वय से आवश्यक सूचनाओं की समय से उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नदियों के किनारे मिट्टी-बालू तथा सिल्ट का प्रयोग ईंट बनाने में किया जाए। यह पर्यावरण को बचाने में कारगर होगा। उपजाऊ जमीन की मिट्टी का प्रयोग ईंट भट्ठों में न किया जाए।

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