उत्तर प्रदेश
यूपी विधान परिषद चुनाव के लिए वोटिंग जारी, बीजेपी-सपा में तगड़ी टक्कर, जानिए कहां कितने कैंडिडेट
उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जहां अपना ‘दम’ दिखाने की तैयारी में है, वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने उच्च सदन में ‘साख’ बचाने की बड़ी चुनौती है। स्थानीय निकाय की विधान परिषद की 36 सीटों को फतह करने की लड़ाई को 2024 लोकसभा चुनावों के समीकरणों को सेट करने के लिहाज से भी देखा जा रहा है। यूपी चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने वाली भाजपा की नजर इस बार विधान परिषद में बहुमत हासिल करने की है।
विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं। जिसमें से वर्तमान में बीजेपी के पास 33 , सपा के पास 17 , बसपा के पास 4 और कांग्रेस के पास शून्य सीटें हैं। इस चुनाव में 36 में से 9 सीटों पर बीजेपी निर्विरोध हैं। आज एमएलसी के चुनाव के लिए 27 सीटों पर वोटिंग होनी हैं। खबर ये भी सामने आ रही है कि विधानसभा चुनाव से पहले 7 MLC बीजेपी में शामिल हो गए हैं। तो वहीं 6 जुलाई तक एमएलसी की 13 और सीटें खाली हो जाएगी।
आपको बताते चले कि यूपी विधान परिषद में 38 सीटें विधानसभा के सदस्यों द्वारा, 36 सीटें स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधियों द्वारा, 8 सीटें शिक्षक निर्वाचन कोटे द्वारा, 8 सीटें रजिस्टर्ड ग्रेजुएट मतदाता के प्रतिनिधि द्वारा और 10 सीटें राज्य सरकार की संसतुति पर राज्यपाल द्वारा चुनी जाती हैं।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश
मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना
टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।
ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।
42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा
एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।
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