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सबसे सस्ते MI मोबाइल: शाओमी कंपनी का वो राज़ जो कंपनी ने छिपाया, हमने बताया

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नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी से एक अच्छी खबर आ रही है। यदि आप शाओमी फोन का उपयोग कर रहे हैं तो ये खबर आपके लिए अधिक जानकार हो सकती है। आज हम आपको शाओमी फोन के पीछे इतने सस्ते होने के कारण के बारे में बताएंगे।

शाओमी भारत का सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड बन गया है। शाओमी फोन ने पूरी दुनिया में अपना महत्व स्थापित किया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि वे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को इतनी कम कीमत में बेचते हैं कि सब लोग आसानी से खरीद सकते है। यहां हम बताएंगे कि स्मार्टफोन के ये हिस्से इतने सस्ते क्यों हैं?

शाओमी अपने फोन की बॉडी और फोन के बोर्ड का डिजाइन और निर्माण करता है। शाओमी अन्य सभी बड़ी चीजों को अपने आप बनाती है। यह केवल अन्य कंपनियों से रैम और प्रोसेसर खरीदती है। अन्य कंपनियों को बहुत-सी चीजें खरीदनी पड़ती हैं। इकट्ठा करने और प्रचार करने में उनकी कीमत थोड़ा और बढ़ जाती है।

शाओमी पारंपरिक विज्ञापनों पर पैसे खर्च नहीं करती है। उनके पास भौतिक भंडार नहीं हैं क्योंकि इसे बनाए रखने के लिए कर्मचारियों की जरूरत है। यह ई-कॉमर्स के माध्यम से उपभोक्ताओं को सीधे अपने फोन बेचता है। शाओमी अपना ऑनलाइन स्टोर चलाता है।

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इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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