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उत्तर प्रदेश

केजीबीवी की बालिकाओं में आत्मविश्वास का संचार कर रही योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार शैक्षणिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों की बालिकाओं को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। इस क्रम में, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) एक बड़ा माध्यम साबित हो रहा है जिसके जरिए प्रदेश की हजारों बेटियां शिक्षा, खेल और प्रशासनिक क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं। इन प्रयासों के बल पर बेटियां न केवल पढ़ाई में बल्कि खेलकूद व प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। इससे उनमें गुणों का संचार और आत्मविश्वास में वृद्धि हो रही है तथा वह समाज में एक नई भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रही हैं।

प्रगति की सीढ़ियां चढ़ रहीं केजीबीवी की बेटियां

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों की बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसी के परिणामस्वरूप केजीबीवी में पढ़ाई कर रही बालिकाएं अब प्रगति की सीढ़ियां चढ़ रही हैं और न केवल खेलकूद, क्विज बल्कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी योग्यता साबित कर प्रशासनिक पदों पर भी चयनित हो रही हैं।

अमरोहा की बेटी बनी एसडीएम

राज्य स्तर पर भी चमक रही हैं बालिकाएं योगी सरकार के प्रयास का ही प्रतिफल है कि अमरोहा की निधि ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 39वीं रैंक हासिल कर एसडीएम के रूप में चयनित हुई हैं और अपनी कार्यशैली से प्रदेश का मान बढ़ा रही हैं। उन्नाव की केजीबीवी में पढ़ाई करने वाली अर्चना देवी ने अंडर-19 महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। महोबा की केजीबीवी की छात्रा निदा खातून ने भी नीट परीक्षा पास कर एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की और अब चिकित्सा क्षेत्र में लगातार आगे की ओर अपना कदम बढ़ा रही हैं।

कोई फुटबॉल तो कोई गतका मार्शल आर्ट में लिख रही इतिहास

वर्ष 2024-25 की राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में केजीबीवी की बालिकाओं ने शानदार प्रदर्शन किया है। अंडर-14 फुटबॉल में उपविजेता का खिताब जीता। वहीं, राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में अंडर-14 और अंडर-17 वर्ग में चार-चार बालिकाओं का चयन हुआ है। इसके अलावा, गतका मार्शल आर्ट में बालिकाओं ने 2 रजत और 2 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं। इसी तरह जूडो और कुश्ती में भी एक-एक रजत और कांस्य पदक जीते गए। थांगता मार्शल आर्ट में 2 स्वर्ण पदक जीतकर बालिकाओं ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी जगह बनाई है।

आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की नई इबारत लिख रहीं हैं बेटियां

केजीबीवी की बालिकाओं को गाइड का प्रशिक्षण देकर उनमें आत्मनिर्भरता और नेतृत्व क्षमता का विकास किया जा रहा है। उच्चीकृत केजीबीवी विद्यालयों में एनसीसी यूनिट स्थापित करने के लिए एनसीसी निदेशालय से भी अनुरोध किया गया है, ताकि बालिकाएं सेना और अन्य रक्षा सेवाओं में करियर बना सकें।

खेलकूद और शारीरिक विकास में उत्कृष्टता के लिए हो रहे प्रयास

शारीरिक और मानसिक विकास के लिए केजीबीवी की बालिकाओं को खेलकूद में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। केजीबीवी को राज्य स्तरीय खेल यूनिट के रूप में मान्यता दी है। यहां बालिकाएं फुटबॉल, जूडो, कुश्ती, गतका जैसे खेलों में भाग लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं।

इस उद्देश्य से शुरू हुआ केजीबीवी…

वर्ष 2004-05 में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की स्थापना गरीब परिवारों की बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा और आवासीय सुविधा प्रदान करने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य वंचित वर्गों की बालिकाओं को शिक्षा का अधिकार देना था।

योगी सरकार ने दी नई गति

योगी सरकार के गठन के साथ 2017 में इस योजना को और अधिक गति मिली। अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक समुदाय और अन्य पिछड़े वर्गों की बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के प्रयास तेज किए गए। गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की उन बालिकाओं को भी शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया गया, जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया या कभी स्कूल नहीं गईं।

सभी केजीबीवी को कक्षा 12 तक उच्चीकृत करने का है लक्ष्य

योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का कहना है कि केजीबीवी में पढ़ाई करने वाली गरीब परिवारों की बेटियों के उन्नयन के लिए सरकार कृत-संकल्पित है। अब सरकार ने 2025-26 तक सभी केजीबीवी को कक्षा 12 तक उच्चीकृत करने का लक्ष्य रखा है। अब तक 680 विद्यालयों का उच्चीकरण हो चुका है, जहां कक्षा 6 से 12 तक की बालिकाओं के लिए निःशुल्क शिक्षा और आवासीय सुविधा प्रदान की जा रही है। वर्तमान में यूपी में 746 केजीबीवी हैं, जिनमें कुल 81,280 बालिकाएं नामांकित हैं, जो अपने करियर को आगे बढ़ाने में सक्षम हो रही हैं।

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उत्तर प्रदेश

भारतीय भाषाओं और संस्कृति के माध्यम से बच्चों का भविष्य निर्माण कर रही योगी सरकार

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लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश भर के स्कूलों में भारतीय भाषाओं और संस्कृति को संरक्षित करने के साथ-साथ बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव मजबूत करने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में 04 से 11 दिसंबर तक ‘भारतीय भाषा उत्सव 2024’ का आयोजन किया गया। सप्ताहभर चलने वाला यह आयोजन बच्चों को भारतीय भाषाओं की समृद्ध और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास रहा।

‘भाषाओं के माध्यम से एकता’ थीम पर आधारित यह उत्सव न केवल बच्चों को राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया, बल्कि उन्हें मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व का गहन एहसास भी कराया। यह थीम भारत की आत्मा और इसकी भाषाई विविधता के प्रतिबिंब के रूप में बच्चों के मनः स्थिति पर साकारात्मक प्रभाव भी डाला है। आयोजन के माध्यम से बच्चों में भाषाई कौशल, सांस्कृतिक जागरूकता और आत्मविश्वास जैसे गुण विकसित करने की पहल की गई। यह प्रयास उन्हें भारतीय भाषाओं की अनूठी धरोहर से जुड़ने और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करता है। ‘भारतीय भाषा उत्सव 2024’ का आयोजन बच्चों में भाषाई और सांस्कृतिक समृद्धि के बीज बोने का महत्वपूर्ण कदम है।

बतातें चलें कि यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत बहुभाषिक शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। जिसमें मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल देने के साथ साथ विद्यार्थियों में भाषाई कौशल विकसित करने और बहुभाषिकता के लाभों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित था।

सात दिवसीय ‘भारतीय भाषा उत्सव’ में बच्चों को विभिन्न विषयों पर मिला ज्ञान

04 से 11 दिसंबर के बीच पूरे प्रदेश में मनाया गया ‘भारतीय भाषा उत्सव- 2024’ भारतीय भाषाओं के महत्व और उनकी विविधता को उजागर करने का प्रयास है। इस दौरान विभिन्न गतिविधियों, कार्यशालाओं और कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पहले दिन बच्चों को ‘भाषा और प्रकृति में सौहार्द्रता’ विषय पर जानकारी दी गई। उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं में शब्द लिखकर ‘भाषा वृक्ष’ बनाया, प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ी कविताओं का प्रदर्शन किया और प्रकृति भ्रमण के दौरान अपनी मातृभाषा में चर्चाएं कीं, जबकि दूसरे दिन ‘भाषाओं और तकनीक का सम्मिलन: डिजिटल युग में शब्दों की शक्ति’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित हुए। इसके अलावा, ‘भाषा और साहित्य : सम्मिलन’, ‘भाषा मेला’, ‘अभिव्यक्ति की उत्कृष्टता’, और ‘भाषा और समुदाय’ तथा ‘भाषा, संस्कृति और हम: एक क्षेत्रीय उत्सव’ जैसी कार्यशालाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को भाषाई समृद्धि का अनुभव कराने और उनकी अभिव्यक्ति क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिए कई सार्थक प्रयास किए जा चुके हैं।

भाषाओं के माध्यम से एकता का प्रतीक है ‘भारतीय भाषा उत्सव 2024’: संदीप सिंह

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने कहा, “भारत अपनी भाषाई विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है। ‘भारतीय भाषा उत्सव 2024’ का उद्देश्य इसी धरोहर को संरक्षित करना और बच्चों को राष्ट्रीय एकता व सांस्कृतिक विविधता का महत्व समझाना है। यह आयोजन बच्चों में भाषाई प्रेम और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करने में सफल रहा है।

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