उत्तर प्रदेश
योगी के मंत्रियों का अखिलेश यादव पर चौतरफा हमला
लखनऊ | योगी सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत कई कैबिनेट मंत्रियों ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर निशाना साधा। सुल्तानपुर डकैती प्रकरण पर उनके बयान को लेकर मंत्रियों ने आईना दिखाते हुए कहा कि अपराधी की कोई जाति नहीं होती है। सर्राफा एसोसिएशन ने भी सुल्तानपुर डकैती के खुलासे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पुलिस की तारीफ की है। इन लोगों ने पूछा कि अब अखिलेश यादव बताएं मंगेश अपराधी था कि नहीं। वह किसी अपराधी काे लेकर भला कैसे प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं।
पीड़ित नहीं, अपराधी के साथ खड़ी है सपा: ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि जबसे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तब से कानून व्यवस्था चुस्त और अपराधियों के हौसले पस्त हुए हैं। सुल्तानपुर में ज्वेलर्स के यहां हुई दिनदहाड़े डकैती में सपा समेत विपक्षी पार्टियों के लोग डकैतों के संरक्षण का काम कर रहे हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सुल्तानपुर की घटना में सरकार ने गंभीरता से जांच कराई है। तथ्यों पर जानकारी एकत्र की है, जो लोग वांछित थे सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन निकाल, वांछित लोगों की पहचान कर कार्रवाई की। सुल्तानपुर की घटना हो या प्रदेश की अन्य घटना, समाजवादी पार्टी हमेशा अपराधियों के समर्थन में रही है। जिसके यहां अपराध हुआ उस ज्वेलर्स के समर्थन समाजवादी पार्टी के मुखिया की तरफ से एक भी शब्द नहीं निकले। समाजवादी पार्टी अपराधियों के साथ खड़ी रहती है। जिस बेटी के साथ रेप हुआ है, सपा उसकी बजाय अपराधियों के साथ खड़ी नजर आयी।
सुल्तानपुर घटना में वांछित अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। मुठभेड़ के दौरान अपराधी के एनकाउंटर पर अब समाजवादी पार्टी जाति के आधार पर उसके समर्थन में जुट गई है। हमारे सरकार की प्रतिबद्धता है कि अपराधी अपराधी होता है, अपराधी कोई जाति नहीं होता। हमारे साथ सर्व समाज के लोग जुड़े हुए हैं। घटना में वांछितों के घर से लूट का 2.5 किलो से अधिक सोना बरामद हुआ। जनता जानती है कि समाजवादी पार्टी की जब-जब सरकार रही है, अपराधियों को पुष्पित पल्लवित करती रहती है। सपा राज में राजधानी लखनऊ में हजरतगंज के क्षेत्राधिकारी को लोहिया वाहिनी के गुंडो ने बोनट पर घुमाया था। जीप को ले जाकर एसएसपी लखनऊ के बंगले में घुसा दिया गया था। आज तक उस घटना में कितनों की सजा हुई। यह समाजवादी पार्टी जानती है। बदायूं और मथुरा के जवाहर बाग कांड को कौन भूल सकता है। इसमें पुलिस अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे। मुजफ्फरनगर में हमारी एक बहन बेटी के साथ दुर्व्यवहार हुआ था। मुजफ्फरनगर दंगे में कितने निर्दोष मारे गए थे, समाजवादी पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए।
अपराधी की कोई जाति नहीं होती: निषाद
कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि सुल्तानपुर एनकाउंटर के बारे में विपक्ष के लोग उल्टा-पुल्टा बयान दे रहे हैं। अपराधी की कोई जाति नहीं हाेती है। इनकी सरकार में अखिलेश निषाद को मार दिया गया था। उन्होंने कहा कि अयोध्या मछुआ समुदाय के लिए ऐतिहासिक जगह है। अयोध्या में गोली चलाने वाले उसके विकास को क्या जानेंगे। अयोध्या के बारे में कुछ बोलने का मतलब निषाद समाज के बारे में कहना है। यूपी पहले बीमारू राज होता है, आज उत्तर प्रदेश विकास की राजधानी है।
जाति के आधार पर काम नहीं करती योगी सरकार: दारा सिंह चौहान
कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि योगी सरकार जाति के आधार पर काम नहीं करती है। मैं उत्तर प्रदेश पुलिस को बधाई देता हूं कि सुल्तानपुर डकैती का निष्पक्ष तरीके से अनावरण किया है। आखिर अखिलेश यादव किसी अपराधी को लेकर कैसे प्रेस कांफ्रेंस करते हैं जबकि आज प्रदेश के लॉ एंड आर्डर को लेकर हर जगह सराहना हो रही है। उन्होंने अयोध्या मामले पर अखिलेश यादव के बयान को गलत बताया है। लोकसभा चुनाव में झूठ बोलकर अखिलेश यादव जीते चुके हैं, लेकिन काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है।
जब पुलिसकर्मी भी शहीद हो जाते हैं तब अखिलेश क्यों कुछ नहीं बोलते: ओम प्रकाश राजभर
पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि सर्राफा एसोसिएशन ने सुल्तानपुर डकैती के खुलासे पर पुलिस की तारीफ है। अब अखिलेश यादव ही बताएं कि वह अपराधी था या नहीं। उन्होंने कहा कि पुलिस कार्रवाई में जब पुलिसकर्मी भी शहीद हो जाते हैं तब अखिलेश यादव क्यों कुछ नहीं बोलते हैं। ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव से पूछा कि सिपाही शैलेष राजभर को गोली किसने मारी, यह जवाब भी मिलना चाहिए। सपा अब कांग्रेस के अलगाववाद पर चल रही है। अखिलेश यादव अब चोर और लुटेराें की तस्वीर में अपने लोगों को खोज रहे हैं। अपराधियों को टिकट देना और उनको नेता बनाना पहले से इनका इतिहास रहा है।
उत्तर प्रदेश
कश्मीर से लेकर पंजाब तक लोगों का रास आ रही कुशीनगर के केले की मिठास
लखनऊ। योगी सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित बुद्ध महापरिनिर्वाण की धरती कुशीनगर के केले की मिठास पंजाब से लेकर कश्मीर तक के लोग ले रहे हैं। दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद, चंडीगढ़, लुधियाना और भटिंडा तक जाता है कुशीनगर का केला।
यही नहीं गोरखपुर मंडल से संबद्ध सभी जिलों और कानपुर में भी कुशीनगर के केले की धूम है। नेपाल और बिहार के भी लोग कुशीनगर के केले के मुरीद हैं।
कुशीनगर में करीब 16 हजार हेक्टयर रकबे पर हो रही केले की खेती
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध कुशीनगर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अशोक राय के मुताबिक यहां के किसान फल और सब्जी दोनों के लिए केले की फसल लेते हैं। इनके रकबे का अनुपात 70 और 30 फीसद का है। खाने के लिए सबसे पसंदीदा प्रजाति जी-9 और सब्जी के लिए रोबेस्टा है। जिले में लगभग 16000 हेक्टेयर में केले की खेती हो रही है।
ओडीओपी घोषित होने के बाद और बढ़ा केले की खेती का क्रेज
योगी सरकार द्वारा केले को कुशीनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित करने के बाद केले की खेती और प्रसंस्करण के जरिये सह उत्पाद बनाने का क्रेज बढ़ा है। कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं केले का जूस, चिप्स, आटा, अचार और इसके तने से रेशा निकालकर चटाई, डलिया एवम चप्पल आदि भी बना रहीं हैं। इनका खासा क्रेज और मांग भी है।
17 साल में 32 गुना बढ़ा खेती का रकबा
अशोक राय बताते हैं कि 2007 में कुशीनगर में मात्र 500 हेक्टेयर रकबे में केले की खेती होती होती थी। अब यह 32 गुना बढ़कर करीब 16000 हेक्टेयर तक हो गया है। जिले का ओडीओपी घोषित होने के बाद इसके प्रति रुझान और बढ़ा है। सरकार प्रति हेक्टेयर केले की खेती पर करीब 31 हजार रुपये का अनुदान भी किसान को देती है।
कुशीनगर के केले को लोकप्रिय बनाने में गोरखपुर की अहम भूमिका
कुशीनगर, गोरखपुर मंडल में आता है। यहां फलों और सब्जियों की बड़ी मंडी है। शुरू में कुशीनगर के कुछ किसान केला बेचने यहां की मंडी में आते थे। फल की गुणवत्ता अच्छी थी। लिहाजा गोरखपुर के कुछ व्यापारी कुशीनगर के उत्पादक क्षेत्रों से जाकर सीधे किसानों के खेत से केला खरीदने लगे। चूंकि सेब, किन्नू और पलटी के माल के कारोबार के लिए गोरखपुर के व्यापारियों का कश्मीर, पंजाब और दिल्ली के व्यापारियों से संबंध था, लिहाजा यहां के कारोबारियों के जरिये कुशीनगर के केले की लोकप्रियता अन्य जगहों तक पहुंच गई। मौजूदा समय में कुशीनगर का केला कश्मीर, पंजाब के भटिंडा, लुधियाना, चंडीगढ़, भटिंडा, लुधियाना, कानपुर, दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ समेत कई बड़े शहरों तक जाता है।
प्रशासन ने की थी केले की खेती को उद्योग का दर्जा देने की पहल
केले की खेती की ओर जिले के किसानों का झुकाव देख पूर्व डीएम उमेश मिश्र ने केले को खेती को उद्योग का दर्जा दिलाने की कवायद शुरू की थी। इस बाबत उन्होंने बैंकर्स की मीटिंग भी की थी। साथ ही केन्द्र और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत केला उत्पादकों को आसान शर्तों पर ऋण मुहैया कराने के निर्देश दिए थे।
दशहरा और छठ होता है बिक्री का मुख्य सीजन
सिरसियां दीक्षित निवासी मुरलीधर दीक्षित, भरवलिया निवासी मृत्युंजयय मिश्रा, विजयीछपरा निवासी शिवनाथ कुशवाहा केले के बड़े किसान हैं। देश और प्रदेश के कई बड़े शहरों में कमीशन एजेंटों के जरिये इनका केला जाता है। इन लोगों के अनुसार नवरात्र के ठीक पहले त्योहारी मांग की वजह से कारोबार का पीक सीजन होता है।
स्थानीय स्तर पर रोजगार भी दे रहा केला
केले की खेती श्रमसाध्य होती है। रोपण के लिए गड्ढे खोदने, उसमें खाद डालने, रोपण, नियमित अंतराल पर सिंचाई, फसल संरक्षा के उपाय, तैयार फलों के काटने उनकी लोडिंग,अनलोडिंग और परिवहन तक खासा रोजगार मिलता है।
फरवरी और जुलाई रोपण का उचित समय
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार (गोरखपुर) के सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह के मुताबिक केले के रोपण का उचित समय फरवरी और जुलाई-अगस्त है। जो किसान बड़े रकबे में खेती करते हैं उनको जोखिम कम करने के लिए दोनों सीजन में केले की खेती करनी चाहिए।
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