Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

परिवार में झगड़ा नहीं : अखिलेश

Published

on

अखिलेश

Loading

अखिलेशलखनऊ| उत्तर प्रदेश में पिछले दो दिनों से चल रहे सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि परिवार में कोई झगड़ा नहीं है। जो भी मतभेद हैं, वे सरकार से संबंधित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ज्यादातर फैसले नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से परामर्श पर ही लिए, केवल कुछ ही फैसले खुद किए।

उन्होंने अपने आवास पर एक समारोह के दौरान कहा, “पिछले दो दिनों से जो चल रहा है, वह सरकार से संबंधित झगड़ा है, परिवार से संबंधित नहीं।”

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव कैसे हटेंगे और मंत्री कैसे हटेंगे? क्या यह बाहरी लोग तय करेंगे?

उन्होंने कहा, “नेता जी का कहना सभी मानते हैं। मैं भी मानता हूं, लेकिन कभी-कभी कुछ निर्णय खुद भी किए जाते हैं।”

गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से उप्र में समाजवादी पार्टी और सरकार के बीच उठापटक जारी है। दो दिन पहले अखिलेश ने दो मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति व राजकिशोर को बर्खास्त किया था। फिर उन्होंने मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया।

इसके बाद दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर अखिलेश यादव को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को उप्र की कमान सौंप दी गई। इसके बाद अखिलेश ने फिर पलटवार किया और शिवपाल को महत्वहीन विभाग देकर उनका कद छोटा कर दिया। लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग व राजस्व विभाग वापस लेकर उन्हें समाज कल्याण एवं भूमि परती विकास विभाग दे दिया।

उधर, सैफई पहुंचे शिवपाल ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि नेताजी का फैसला पत्थर की लकीर है। उसे कोई नहीं पलट सकता। नेताजी जो भी फैसला लेंगे, उसका हर हाल में पालन किया जाएगा।

सपा के सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव जिस बाहरी व्यक्ति की बात कर रहे हैं वह राज्यसभा सांसद अमर सिंह हैं। अमर सिंह के कहने पर ही नेताजी ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। अखिलेश यादव पर लगातार इस बात का दबाव बन रहा था कि वह गायत्री प्रसाद प्रजापति व राजकिशोर को वापस लें और मुख्य सचिव दीपक सिंघल को भी पुन: मुख्य सचिव बनाया जाए। लेकिन मुख्यमंत्री इसके लिए तैयार नहीं हुए।

उत्तर प्रदेश

कौन है भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़ में गई सैकड़ों जानें

Published

on

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा भोले के सत्संग में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई है। जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। मृतकों में अभी कईयों की पहचान नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रशासन की ओर मृतकों की सूची जारी की गई है। इस बीच एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वह भोले बाबा कौन है, जिनका सत्संग सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें।भोले बाबा के नाम से विख्यात बाबा पश्चिमी यूपी में काफी लोकप्रिय हैं। इनका सत्संग सुनने के लिए आसपास के राज्यों से भी लोग आते हैं और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं।

भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। उनका दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। उनका दावा है कि 18 साल की नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए। पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। बताया जाता है कि कई IAS-IPS भी उनके भक्त हैं। उनके सत्संग नें बड़े नेता और अधिकारी भी पहुंचते हैं। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं।

आपको बता दें कि भोले बाबा अन्य लोगों की तरह भगवाधारी ना होकर सफेद सूट और सफेद जूता पहनते हैं। इसके उलट बाबा के सेवादार काले कपड़ों में दिखाई देते हैं। ये सेवादार प्रत्येक मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी जैसे भोजन, पानी और ट्रैफिक संभालते हैं। बाबा की खासियत है कि भले ही उनके सोशल मीडिया पर ढेरों फालोवर ना हों लेकिन जमीनी स्तर पर बाबा के लाखों भक्त हैं।

Continue Reading

Trending