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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले, असली गंदगी सड़कों पर नहीं बल्कि दिमाग में

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अहमदाबाद। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विभाजनकारी विचारों को दिमाग से हटाने पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि भारत की असल गंदगी गलियों में नहीं, बल्कि ‘हमारे दिमाग में और उनके और हमारे बीच समाज को विभाजित करने वाले विचारों को दूर करने की अनिच्छा में है।’

साबरमती आश्रम में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी की जरूरत आज भी है। उन्होंने ये भी कहा कि हमें दिमाग साफ करने की जरूरत है, क्योंकि समाज को बांटने वाली सोच में ही गंदगी है, इसी सोच को खत्मन करने की जरूरत है। उन्होंने महात्मा गांधी की सोच का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने एक समावेशी राष्ट्र की कल्पना की थी जहां देश का हर वर्ग समानता के साथ रहे और उसे समान अधिकार मिलें।

राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि गांधी जी केवल ‘राष्ट्रपिता’ नहीं हैं बल्कि हमारे देश के निर्माता भी हैं। उन्होंने हमारे कार्यों को निर्देशित करने के लिए हमें नैतिक बल दिया, एक ऐसा तरीका जिससे हमें आंका जाता है। उन्होंने कहा, ‘हर दिन, हम अपने चारों ओर अभूतपूर्व हिंसा होते देखते हैं। इस हिंसा के मूल में अंधेरा, डर और अविश्वास है। जब हम इस फैलती हिंसा से निपटने के नए तरीके खोजें, तो हमें अहिंसा, संवाद और तर्क की शक्ति को भूलना नहीं चाहिए।’

देश में कथित असहिष्णुता पर चल रही बहस और संसद में इस विषय पर हो रहे हंगामे के बीच राष्ट्रपति ने बांटने वाली सोच को बंद करने की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी राष्ट्रपति निरंतर अंतरालों पर इन मसलों को लेकर सलाह देते नजर आए हैं। साथ ही इशारा किया कि हमें अपने दिमाग को साफ करने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश

कौन है भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़ में गई सैकड़ों जानें

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा भोले के सत्संग में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई है। जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। मृतकों में अभी कईयों की पहचान नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रशासन की ओर मृतकों की सूची जारी की गई है। इस बीच एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वह भोले बाबा कौन है, जिनका सत्संग सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें।भोले बाबा के नाम से विख्यात बाबा पश्चिमी यूपी में काफी लोकप्रिय हैं। इनका सत्संग सुनने के लिए आसपास के राज्यों से भी लोग आते हैं और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं।

भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। उनका दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। उनका दावा है कि 18 साल की नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए। पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। बताया जाता है कि कई IAS-IPS भी उनके भक्त हैं। उनके सत्संग नें बड़े नेता और अधिकारी भी पहुंचते हैं। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं।

आपको बता दें कि भोले बाबा अन्य लोगों की तरह भगवाधारी ना होकर सफेद सूट और सफेद जूता पहनते हैं। इसके उलट बाबा के सेवादार काले कपड़ों में दिखाई देते हैं। ये सेवादार प्रत्येक मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी जैसे भोजन, पानी और ट्रैफिक संभालते हैं। बाबा की खासियत है कि भले ही उनके सोशल मीडिया पर ढेरों फालोवर ना हों लेकिन जमीनी स्तर पर बाबा के लाखों भक्त हैं।

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