प्रादेशिक
प्रदेश में पहली बार ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग के लिए कन्ट्रोल रूम बनाया गयाः अवनीश अवस्थी
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार प्रदेश सरकार द्वारा कोविड संक्रमण को नियंत्रित करने की सभी व्यवस्थाए की जा रही हैं। प्रदेश में कोविड प्रबंधन को पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू कर इस महामारी को रोकने की कार्यवाही की जा रही है, जिससे संक्रमण के प्रसार में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने कोविड-19 प्रबंधन टीम को निर्देशित किया है कि प्रदेश में कोविड संक्रमण की चैन को तोड़ना आवश्यक है इसके लिए लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए टेस्टिंग क्षमता बढ़ाई जाए, जिससे की समय पर संक्रमण की पहचान कर लोगों को समुचित इलाज दिया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एग्रेसिव टेस्टिंग करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके क्रम में अधिक से अधिक टेस्टिंग करने का अभियान चलाया जा रहा है। टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए 10 नई मशीनों को स्थापित करने का आदेश दिया गया है। प्रदेश में अब तक 04 करोड़ से अधिक लोगों का टेस्टिंग किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि लोग अफवाह कर रहे हैं कि निजी लैब टेस्ट नहीं कर रहे, जबकि कल 4,000 ट्रूनेट टेस्ट को मिलाकर 17,000 से अधिक निजी प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए।
सहगल ने बताया कि कोविड संक्रमण की जटिलता से बचने के लिए टीकाकरण आवश्यक है। प्रदेश में टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी लायी गई है। प्रदेश सरकार द्वारा 01 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के समस्त व्यक्तियों के लिए निःशुल्क टीकाकरण अभियान को चलाया जायेगा। इसके लिए 01 करोड़ वैक्सीन डोज का प्रबंध किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आज से पंजीकरण प्रारम्भ हो गया है। टीकाकरण के लिए लोग कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु एप पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा महामारी नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत घर-घर सर्वेक्षण किया जा रहा है और कोविड लक्षण वाले व्यक्तियों की पहचान की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बार कोविड संक्रमण पिछले संक्रमण की अपेक्षा 30 से 50 गुना ज्यादा है। सरकार का प्रयास है कि सभी को समुचित इलाज मिले। बेड, दवायें और वेंटिलेटर की उपलब्धता हो इसकी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि कल 35,903 लोग कोविड संक्रमण से स्वस्थ होकर वापस आए हैं। यह सभी के लिए अच्छे संकेत हैं कि प्रदेश में नये केसों से ज्यादा रिकवरी की दर ज्यादा हुई है। प्रदेश में 16.19 करोड़ परिवारों तक स्वास्थ्य विभाग की सर्विलांस टीम पहुँची। इसमें जो भी व्यक्ति संक्रमित पाये गये, उनका टेस्ट कराकर इलाज कराया गया। उन्होंने कहा कि 24 करोड़ आबादी वाले प्रदेश में 20 करोड़ से अधिक लोगों तक प्रदेश का स्वास्थ्य एवं नगर विकास विभाग पहुँच चुका है। जनसंख्या के अनुपात में प्रदेश में संक्रमण के आंकड़े भी अन्य प्रदेशों से कम है।
सहगल ने बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति सरकार द्वारा बढ़ाई जा रही है। कल 600 मी0टन ऑक्सीजन की आपूर्ति विभिन्न अस्पतालों को की गई, जो कि पहले की अपेक्षा काफी ज्यादा है। ऑक्सीजन आपूर्ति में टैंकर की व्यवस्था को बढ़ाया जा रहा है। पीएम केयर फण्ड से जो ऑक्सीजन प्लाण्ट लगने हैं इनका चिन्हीकरण कर 61 जिलों के प्रस्ताव भारत सरकार को भेज दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि निजी संगठनों द्वारा भी ऑक्सीजन के बड़े प्लाण्ट लगाने के प्रस्ताव आये हैं, जिनका अनुश्रवण किया जा रहा है। इन सभी प्रयासों से शीघ्र ही प्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन होने लगेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार प्रत्येक जिले में 200 बेड बढ़ाये जा रहे हैं और जिन सरकारी चिकित्सालयों में ऑक्सीजन के प्लाण्ट हैं वहां पर भी बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है।
सहगल ने बताया कि निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे लोगों को भी रेमडेसिविर की उपलब्धता जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी के माध्यम से सुनिश्चित करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा मास्क लगाने को कड़ाई से लागू किया गया है, पहली बार बिना मास्क के पाये जाने पर 1000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है तथा दूसरी बार बिना मास्क के पाये जाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सरकार ने इससे यह संदेश दिया है कि सभी लोग मास्क लगायें।
सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने लोगों से अपील की है कि लोग आसामाजिक तत्वों द्वारा पैदा किए जा रहे डर एवं अफवाहों में न आएं। इस पर ध्यान न दें, अफवाहों पर यकीन न करें। इस कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रदेश के सभी लोग अपना सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि लोग अफवाह और डर का माहौल पैदा करने वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि डर या भय का माहौल न हो, तो कोरोना के 90 से 94 प्रतिशत लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
अपर मुख्य सचिव गृह एवं गोपन श्री अवनीश अवस्थी ने प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश में पहली बार ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग के लिए कन्ट्रोल रूम बनाया गया है। पिछले एक सप्ताह से इस कन्ट्रोल रूम से ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग की जा रही है, इसमें फूड एवं ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन के ड्रग कन्ट्रोलर, गृह एवं पुलिस विभाग, परिवहन कमिश्नर, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के समन्वय से इस कन्ट्रोल रूम को संचालित किया जा रहा है। ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत जिलाधिकारी जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की निगरानी करेंगे और ऑक्सीजन की व्यवस्था को संचालित करेंगे। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम प्रदेश में पहली बार लागू किया गया है और पूरे देश में पहली बार इस प्रकार का सिस्टम लागू किया गया है। साथ ही आॅक्सीजन ढुलाई वाले टैंकरों को भी जीपीएस सिस्टम से लैस किया गया है तथा चालकों को मोबाइल फोन भी उपलब्ध कराये गए हैं, जिससे कि मिनट-टू-मिनट मॉनिटरिंग की जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कहीं पर विलम्ब न हो तथा आॅक्सीजन की शीघ्र आपूर्ति हो इसमें पुलिस की स्कार्ट टीम भी सहयोग कर रही है।
श्री अवस्थी ने बताया कि कल फूड एण्ड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन के माध्यम से प्रदेश में 321 मी0टन आॅक्सीजन की सप्लाई की गई। पहली बार 600 मी0टन से अधिक की ऑक्सीजन सप्लाई की गई है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने प्रदेश को सबसे ज्यादा 850 मी0टन का ऑक्सीजन एलाटमेंट दिया है। प्रदेश का एलाटमेंट बंगाल, बिहार, झारखण्ड एवं उड़ीसा में है वहां से ऑक्सीजन लाने के लिए टैंकर लगाए गए हैं। इस समय 84 टैंकर आॅक्सीजन ला रहे हैं। इसमें 64 टैंकर ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के तथा 20 टैंकर हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी 70 मी0टन के 05 टैंकर उपलब्ध कराये हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने ट्रेन के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति की है, इसके लिए 06 ट्रेन चलाई गई। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की शीघ्र आपूर्ति के लिए खाली टैंकरों को भी हवाई जहाज से भेजा जा रहा है। इसमें हिण्डन और आगरा एअरपोर्ट से राँची के लिए टैंकर भेजे गए कल लखनऊ एअरपोर्ट से भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन का दुरूपयोग न हो, इसका सही वितरण एवं सदुपयोग हो, इसकी व्यवस्था की गई है। फिर भी ऑक्सीजन सिलेंडर या दवाओं की कालाबाजारी होती है तो, इसको रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस में शिकायत दर्ज करायें। उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री आलोक कुमार इस व्यवस्था को को-आर्डिनेट कर रहे हैं, जिससे की ऑक्सीजन का सही से उपयोग हो और जरूरतमंदों को ऑक्सीजन मिले।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार गृह विभाग आॅक्सीजन आपूर्ति का भी आॅडिट करा रहा है, इसके लिए आईआईटी कानपुर एवं बीएचयू, आईआईएम लखनऊ, गोरखपुर विश्वविद्यालय, एमएनआईटी प्रयागराज, एकेटीयू व एचपीटीआई के डायरेक्टर से समन्वय बनाकर मोबाइल एप के माध्यम से आॅडिट की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन एवं दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए कल गाजियाबाद में पुलिस द्वारा 36 लाख रुपये कैश एवं भारी मात्रा में रेमडेसिविर इंजेक्शन को जब्त किया गया।
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार प्रदेश में बड़ी संख्या में टेस्टिंग कार्य करते हुए, टेस्टिंग क्षमता निरन्तर बढ़ायी जा रही है। गत एक दिन में कुल 1,86,588 सैम्पल की जांच की गयी, जिसमें से 93,000 से अधिक आरटीपीआर में माध्यम से जांच की गई तथा 17,000 से अधिक निजी प्रयोगशालाओं में जांच की गई। प्रदेश में अब तक कुल 4,03,28,141 सैम्पल की जांच की गयी है। विभिन्न जनपदों द्वारा गत दिवस 81,301 सैम्पल आरटीपीआर टैस्ट के लिए भेजे गए हैं। इस प्रकार उत्तर प्रदेश 04 करोड़ से अधिक टेस्ट करने वाला प्रथम राज्य बन गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना सेे संक्रमित 29,824 नये मामले आये हैं तथा 35,903 मरीज संक्रमणमुक्त हुए हैं। पिछले 24 घंटों में नये आये मामलों के सापेक्ष लगभग 6,000 से अधिक व्यक्ति संक्रमण मुक्त हुए हैं। इस प्रकार अब तक कुल 8,70,864 से अधिक लोग कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। प्रदेश में कुल कोरोना के एक्टिव मामलों में से 2,46,169 व्यक्ति होम आइसोलेशन में हैं तथा 7,157 निजी चिकित्सालयों में एवं शेष सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
प्रसाद ने बताया कि सर्विलांस की कार्यवाही निरन्तर चल रही है। संक्रमण को रोकने के लिए जो उपाय किये जा रहे हैं उनमें से सर्विलांस, कान्टैªक्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग, आइसोलेशन और वैक्सीनेशन आदि हैं। प्रदेश में अब तक सर्विलांस टीम के माध्यम से 2,37,579 क्षेत्रों में 5,76,207 टीम दिवस के माध्यम से 3,36,35,750 घरों के 16,23,53,288 जनसंख्या का सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि जो हेल्थ केयर वर्कर्स दूसरी डोज नहीं लगवा पायें हैं उनकों दूसरी डोज लगाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बनायी गई मोहल्ला/ग्राम निगरानी समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभी निगरानी समितियां बाहर से आये लोगों की निरन्तर निगरानी रखते हुए सतर्कता के साथ कार्य करें। प्रदेश में 45 वर्ष से अधिक आयु वालों का कोविड वैक्सीनेशन किया जा रहा है। अब तक 99,75,626 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई साथ ही 21,13,088 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई। इस प्रकार कुल 1,20,88,714 वैक्सीन की डोज लगायी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सभी अस्पतालों, सरकारी तथा निजी मेडिकल कालेजों को रेमडेसिविर की दवाइयां भेज दी गई हैं, जो कि मरीजों को निःशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी।
प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया है कि कोई भी निजी या सरकारी अस्पताल किसी कोविड मरीज के उपचार से इंकार नहीं कर सकता। किसी भी गरीब आदमी का निजी अस्पताल में उपचार होने पर प्रदेश सरकार आयुष्मान योजना के तहत इलाज का भुगतान करेगी। उन्होंने कहा कि किसी मरीज से निर्धारित दर से अधिक शुल्क लेने पर महामारी एक्ट के तहत दण्डनीय अपराध होगा और इस तरह की घटना पर पीड़ित व्यक्ति संबंधित जनपद के जिलाधिकारी/मुख्य चिकित्साधिकारी/कमाण्ड सेण्टर को सूचित कर सकता है। उन्होंने बताया कि कानपुर जनपद में जिलाधिकारी द्वारा लोगों की सुविधा के लिए व्हाटस ऐप नम्बर जारी किया गया है, इसी प्रकार प्रत्येक जनपद में लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि जो लोग होम आइसोलेशन में हैं अगर उनकों कोविड-19 की किट नहीं मिली है, तो इन्टीग्रेटेड कन्ट्रोल रूम में व मुख्य चिकित्साधिकारी से सम्पर्क करके ले सकते हैं। जो लोग होम आइसोलेशन में हैं अगर वे डाक्टर की सलाह लेना चाहते हैं तो, वे 18001805146, 18001805145 इस हेल्पलाइन पर सम्पर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संक्रमित व्यक्ति घर से ही ई-संजीवनी पोर्टल का प्रयोग करके चिकित्सकों से सलाह ले सकते हैं।
प्रसाद ने लोगों से अपील है कि मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करे, सैनेटाइजर व साबुन से हाथ धोते रहे। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। लोगों के प्रयासों एवं जागरूकता से संक्रमण दर में कमी आयी है। उन्होंने बताया कि संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। टीकाकरण के बाद भी कोविड प्रोटोकाॅल का पालन अवश्य करें।
प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद श्रीमती वीना कुमारी मीणा ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य रु0 1975 प्रति कुन्तल पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड-19 के प्रोटोकाॅल के तहत चल रही है। उन्होंने बताया कि एक नई व्यवस्था के तहत कृषक उत्पादक संगठनों (एफ0पी0ओ0) को भी क्रय केन्द्र खोलने की अनुमति दी गयी है। ऐसे किसान उत्पादक संगठनों द्वारा 150 क्रय केन्द्रों के माध्यम से गेहूँ खरीद की जा रही है। 01 अप्रैल से 15 जून, 2021 तक गेहू खरीद का अभियान जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 1,86,090 किसानों से अब तक 9,66,795.54 मी0 टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। किसानों की सुविधा के लिए क्रय केन्द्रों पर ही रजिस्ट्रेशन की सुविधा के साथ इस वर्ष आॅनलाइन टोकेन की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 08 लाख किसानों ने अपना पंजीकरण कराया है, जिसका तीव्रता के साथ सत्यापन कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि आयुक्त एवं जिलाधिकारी द्वारा स्वयं गेहूँ खरीद की नियमित समीक्षा की जाए तथा अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा भी गेहूँ क्रय केन्द्रों का निरीक्षण कराया जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष गेहूँ खरीद रिकार्ड स्तर पर हुई है। किसानों को 72 घंटे के अन्दर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है।
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हरियाणा सरकार ने नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए उप-वर्गीकरण लागू किया
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण लागू किया है। हरियाणा विधानसभा में बोलते हुए, सीएम सैनी ने कहा, “विधानसभा सत्र में है और मुझे लगा कि सदन को इस सत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए फैसले के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए, जिसे अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के संबंध में इस अधिसूचना के माध्यम से हमारे मंत्रिमंडल द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई थी। हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के वर्गीकरण के संबंध में आज लिया गया निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू होगा। और पांच बजे के बाद, आम जनता इसे मुख्य सचिव की वेबसाइट से देख सकती है।”
1 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत के फैसले से फैसला सुनाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण अनुमेय है। इस मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसने ईवी चिन्नैया मामले में पहले के निर्णयों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है क्योंकि एससी/एसटी समरूप वर्ग बनाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा थे।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए कहा कि वह बहुमत के फैसले से असहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए फैसले में, उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 एक ऐसे वर्ग के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है जो कानून के उद्देश्य के लिए समान रूप से स्थित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी में पहचान करने वाले क्रीमी वकील की आवश्यकता पर विचार किया क्योंकि संविधान पीठ के सात में से चार न्यायाधीशों ने इन लोगों को सकारात्मक आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अपना विचार व्यक्त किया था कि राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।
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