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प्रादेशिक

बारिश के मौसम में आम लोगों को सस्ते दर पर उपलब्ध कराए जाएंगे उपखनिजः डॉ रोशन जैकब

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लखनऊ। सचिव एवं निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग डॉ0 रोशन जैकब ने जिलाधिकारियों को जारी दिशा-निर्देशों में कहा है कि बालू/मौरंग के भंडारण स्थल पर साइन बोर्ड लगवाने, स्वीकृत क्षेत्र का चिन्हांकन एवं जियोटैगिंग कराने ,सीसीटीवी कैमरा स्थापित कराने तथा ई- प्रपत्र -सी के माध्यम से परिवहन की गई मात्रा का नियमित अनुश्रवण कर प्रत्येक सप्ताह प्रगति की सूचना खनन निदेशालय को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मानसून अवधि में वैध भंडारण  स्थल से भण्डारित बालू व मौरम की आपूर्ति बाजार में निर्बाध रूप से सुनिश्चित करने के सभी प्रबंध किए जाएं तथा आम उपभोक्ताओं को  सस्ते और सुलभ रूप से बालू/मौरम उपलब्ध होती रहे। डॉ जैकब ने बताया कि गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष कहीं ज्यादा मौरम का स्टोरेज भण्डारण स्थलों पर करा लिया गया है, कोविड-19 की महामारी के दौर में भी विभाग द्वारा भरसक प्रयास करते हुये यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि मानसून अवधि में बालू/मौरम की किसी भी तरह से किल्लत न होने पाये और सस्ते दर पर आसानी से उपखनिज आम जनमानस को उपलब्ध हो सकें। उन्होने बताया कि पिछले वर्ष 24 लाख घनमीटर मौरम का भण्डारण किया गया था, जबकि इस वर्ष लगभग इसका दोगुना घनमीटर मौरम का भण्डारण कर लिया गया है।

डॉ रोशन जैकब ने बताया कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार मानसून सत्र (1 जुलाई से 30 सितंबर तक) में नदी तट स्थित खनन क्षेत्रों से खनन का प्रतिबंधित रहता है। मानसून सत्र में खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से अधिकाधिक अनुज्ञप्ति स्वीकृत करने के निर्देश पूर्व में ही शासन स्तर से निर्गत किए जा चुके हैं। इस संबंध में डॉ रोशन जैकब ने सभी जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि भण्डारण स्थल पर भण्डारण कर्ता का नाम, भण्डारित स्थल का पूर्ण विवरण, भंडारण स्थल पर उसकी उप खनिज की भण्डारित मात्रा तथा विक्रय मूल्य प्रदर्शित करते हुए साइन बोर्ड लगवाये जांए। भण्डारित मात्रा स्वीकृत क्षेत्र अंतर्गत रखे जाने के निमित्त स्वीकृत क्षेत्र का चिंन्हांकन कर चैहद्दी निर्धारित करते हुए सीमा स्तंभ लगाने तथा भण्डारण स्थल की जियो टैगिग कर उपदम डपजतं पोर्टल से जोड़ा जाए, जिससे अवैध भंडारण को सुगमता से चिन्हित किया जा सके। भण्डारित स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं तथा उनका नियमित अनुश्रवण किया जाए। डा०जैकब ने यह भी निर्देश दिए हैं कि भंडारण स्थल से उप खनिजों का परिवहन ई-प्रपत्र सी माध्यम से सुनिश्चित करते हुये विभागीय पोर्टल upmines.upsdc.gov.in पर फीड करायी जाय तथा साप्ताहिक अनुश्रवण कर यह देख लिया जाय भण्डारण  अनुज्ञप्ति  धारक द्वारा नियमित रूप से उपखनिज की निकासी की जा रही है अथवा नहीं।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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