उत्तराखंड
उत्तराखंड जाने के लिए RTPCR टेस्ट रिपोर्ट जरूरी
लखनऊ। उत्तराखंड में कोरोना महामारी को देखते हुए दूसरे राज्यों से आने के लिए पर्यटकों के लिए कोरोना आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है। यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर पर्यटकों पर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट की सख्ती से जांच होगी। रिपोर्ट के बिना किसी भी पर्यटक को अब राज्य में प्रवेश नहीं मिल सकेगा। डीआईजी (लॉ एंड ऑडर ) नीलेश आनंद भरणे ने पर्यटकों से अपील की है कि वह कोविड गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करें।
पर्यटकों का स्वागत करते हुए कहा कि पर्यटकों को उत्तराखंड प्रवेश के लिए कोरोना आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट, स्मार्ट सिटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और होटल बुकिंग संबंधी दस्तावेज उपलब्ध होने पर प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। भरणे ने सख्ती से कहा कि किसी भी पर्यटक को बिना सभी दस्तावेजों के उत्तराखंड में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पिछले कुछ दिनों से भले ही उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ कुछ कम हुआ है लेकिन सरकार ढिलाई के मूड में नहीं दिख रही है। दिल्ली, यूपी समेत दूसरे प्रदेशों से उत्तराखंड आने वाले यात्रियों कोरोनो आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य है। दूसरे प्रदेशों से उत्तराखंड आने के लिए आरटीपीसीआर, एंटीजन या रेपिड टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है। कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट नहीं होने पर किसी भी यात्री को प्रदेश में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उत्तराखंड-यूपी बॉर्डर पर पुलिस पोस्टों पर सभी की गहनता से जांच की जाएगी। वीकेंड पर पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हरिद्वार में पर्यटकों की भारी संख्या से सबक लेते हुए पुलिस-प्रशासन ने भी सख्ती करने का फैसला लिया है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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