प्रादेशिक
मिशन शक्ति अभियान को सफल बनाने में योगदान देने वाली महिलाओं को किया गया पुरस्कृत
लखनऊ। मिशन शक्ति अभियान के पहले दूसरे चरण को सफल बनाने में योगदान देने वाली महिलाओं को पुरस्कृत किया गया। इन महिलाओं में महिला एवं बाल विकास विभाग से बरेली मंडल की उपनिदेशक नीता अहिरवार और वाराणसी जनपद की संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह भी शामिल थी। जिन्होंने न सिर्फ इस अभियान के दोनों चरणों को सफल बनाने में अपना योगदान दिया बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार की मुख्यधारा से भी जोड़ने का कार्य किया है।
नीता अहिरवार ने कोविड-19 के दौरान जनपद बरेली मे विभिन्न विभागों के मध्य मिशन शक्ति के नोडल अधिकारी के रूप में कार्य किया। नीता द्वारा जनपद स्थित विभागों के साथ-साथ स्वेैच्छिक संगठनों तथा विभिन्न उद्यमियों को मिशन के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई गई। साथ ही मिशन के उददेश्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इनके द्वारा प्रिंट, इलेक्ट्रिानिक, रेडियो एफ. एम., सोशल मीडिया (फेसबुक, वाटसऐप, ट्वीटर) का विशेष रूप से प्रयोग किया गया।
हजारों महिलाओं को योजनाओं से जोड़ा
बरेली जनपद में उन्होंने मिशन शक्ति की अवधि के दौरान पति की मृत्युपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना से लगभग 7000 नवीन महिलाओं तथा मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में लगभग 8000 नये लाभार्थियों को जोड़ा। इनके नेतृत्व में बरेली में मिशन स्वावलंबन को महत्व देते हुये, महिला शारणालय बरेली की महिलाओं के साथ ‘‘हुनर की पाठशाला‘‘ कार्यक्रम की शुरूआत की गई।जिसके जरिए से महिलाओं को विभिन्न कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ा जा रहा है साथ ही विद्यालयों के स्तर पर लगभग 260 मास्टर प्रशिक्षक तैयार कर 25000 से ज्यादा बालिकाओं को ‘‘आत्मरक्षा प्रशिक्षण‘‘ दिलाया है।
193 बच्चों को स्पॉन्सरशिप योजना के लिए किया चिन्हित
निरूपमा सिंह ने भी कोविड के जिला बाल संरक्षण इकाई में कार्यरत् होने के साथ-साथ, वन स्टॉप सेंटर, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना, उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई महिला एवं बाल सम्मान कोष आदि के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई। मिशन शक्ति अभियान के दौरान निरूपमा का फोकस रहा कि ऐसे तंत्र बनाये जायें जो मिशन के बाद भी महिलाओं विशेषकर बालिकाओं को सुरक्षा तथा संरक्षण प्रदान करें। उन्होंनें ग्राम बाल संरक्षण समिति व ब्लॉक बाल संरक्षण समिति की नियमित बैठकें कर बालिकाओं को बाल विवाह व यौन शोषण के मुद्दों पर विशेष रूप से जागरूक किया। निरूपमा ने मिशन के दौरान संपूर्ण वाराणसी में बाल-विवाह के विरूद्ध जन-सामान्य को जागरूक करने के प्रयास किये। कोविड के दौरान ही मिशन के अंतर्गत 18 बाल विवाहों की सूचना प्राप्त होने पर उन्हें रूकवाया। मिशन के अंतर्गत बाल संरक्षण के मुद्दों पर लगातार बैठक के परिणाम स्वरूप जनपद में 193 बच्चों को स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ने हेतु चिन्हित किया गया है। विभाग की ओर से नेतृत्व करते हुये उनके द्वारा महिलाओं व बच्चों के साथ-साथ अध्यापकों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, को भी महिलाओं के प्रति हिंसा के मुददों पर प्रशिक्षित किया गया।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी
प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।
श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था
संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती
महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।
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