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प्रादेशिक

अखिलेश यादव के ट्वीट पर सिद्धार्थ नाथ सिंह का पलटवार-आप किसानों के न कभी हमदर्द थे न हैं

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लखनऊ। “अखिलेश जी लखीमपुर में जो कुछ हुआ उससे आपसे ज्यादा दु:खी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हैं। वह पहले ही घटना को बेहद  दुखद और दुर्भाग्यशाली बता चुके हैं। इसके बाद इस बाबत आप द्वारा बहाये जा रहे आंसू घड़ियाली हैं। आप किसानों के न कभी हमदर्द थे न हैं। आपकी सारी मंशा किसानों की लाश पर राजनीति कर पूरे प्रदेश में अराजकता फैलाने की थी। यही आपकी पार्टी का मूल चरित्र और पहचान है।”

यह बातें प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ट्वीट के जवाब में जारी एक बयान में कही।

सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि लखीमपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की निष्पक्ष और तेजी से जांच के लिए मुख्यमंत्री ने न्यायिक जांच कराने का निर्णय लिया है। यह भी निर्देश दिया है कि सरकार घटना की तह तक जाएगी। जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। इसी क्रम में हर मृतक किसान के परिजनों को ₹45-45 लाख की सहायता राशि दिया। घायलों को 10 लाख और मृतक आश्रितों को सरकारी नॉकरी देने की घोषणा की है। सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल प्रबंधन के कारण अखिलेश की दाल नहीं गली। यही उनके दुख की वजह है।

देश तो तब दुखी हुआ था जब आपकी पार्टी ने वाराणसी बम धमाके में शमिल आतंकियों की पैरवी की थी। उस समय तो सपा लोगों के नजरों में ही गिर गई जब इसी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये तल्ख टिप्पणी की थी कि आज आप जिनकी पैरवी कर रहे हैं, क्या कल उनको पद्मश्री से भी नवाजेंगे। पर यह सब आपको याद नहीं होगा। न इस पर कभी शर्म किए होंगें। लखीमपुर जो कुछ हुआ उसके लिए मुख्यमंत्री दुख जता चुके हैं। किसानों की हर मांग मानी चुकी है। फिर आपके पेट में मरोड़ क्यों उठ रहा है। मालूम हो कि अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि उप्र किसानों की हत्याओं को लेकर शोकाकुल है, ये महोत्सव का समय नहीं है।

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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