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सर्दियों में धूप लेना है बेहद ज़रूरी, जानें फायदे

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सर्दियों के मौसम में जितना खान-पान जरूरी होता है, उतनी ही जरूरी धूप होती है, क्योंकि सर्दियों में सूर्य की किरणें सिर्फ बाहरी त्वचा नहीं, बल्कि अंदरूनी बॉडी पार्ट्स में भी असर करती हैं। शीतलहर और ठंड से बचने के लिए लोग ज्यादा गर्म कपड़े पहनते हैं, लिहाजा शरीर को धूप मिलने की मात्रा भी कम हो जाती है, जिसकी वजह से कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इन समस्याओं से बचने के लिए आपको 15 मिनट की धूप लेना बेहद जरूरी है।

sunlight benefits: sunlight is a remedy of many diseases know more about it  - रोज इतनी देर सेंकेंगे धूप तो शरीर के कई रोग हो जाएंगे दूर - Navbharat  Times

धूप लेने के फायदे:

स्किन इंफेक्शन का खतरा कम

सूरज की रोशनी में ऐसे चमत्कारी गुण होते हैं, जिनके कारण शरीर पर विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शंस के असर की आशंका कम हो जाती है। धूप लेने से शरीर में WBC का पर्याप्त निर्माण होता है, जो रोग पैदा करने वाले कारकों से लड़ने का काम करते हैं।

बच्चों के लिए फायदेमंद

बच्चों के लिए धूप लेना बेहद लाभकारी है। खास कर उन बच्चों को, जिन्होंने मां का दूध पीना छोड़ दिया है। उन्हें धूप लेने के अलावा विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कराना जरूरी है।

कैंसर से बचाव

हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जिन्हें कैंसर है, उन्हें धूप से बीमारी में आराम महसूस होता है। कई शोधों से ये बात सामने आई है कि जहां धूप कम समय के लिए होती है, या जो लोग धूप में कम समय बिताते हैं, कैंसर की आशंका वहां ज्यादा होती है।

विटामिन डी मिलता है

रोज धूप लेने से शरीर को विटामिन डी मिलता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके अलावा धूप सेंकने से जोड़ों का दर्द और सर्दी से होने वाले बदन दर्द से भी राहत मिलती है।

अच्छी नींद आती है

धूप सेंकने से हमारे शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन पैदा होता है। इस हार्मोन के होने से अच्छी और सुकून की नींद आती है। साथ ही इससे मानसिक तनाव भी कम होता है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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